जबलपुर: पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम पाठ्यक्रम का पहला बैच बन सकता है आखिरी

पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम पाठ्यक्रम का पहला बैच बन सकता है आखिरी
  • प्रदेश का एक मात्र संस्थान जहाँ हो रही इसकी पढ़ाई, एक्सीलेंस इन पल्मोनरी मेडिसिन में फैकल्टी की कमी
  • कोर्स पूरा होने पर डिग्री तो मिल जाएगी, लेकिन प्रायोगिक ज्ञान कम होगा।
  • एसईपीएम में फैकल्टी के पद भरने के लिए हाल में 10 पदों पर विज्ञापन जारी किया गया था

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नेशनल मेडिकल कमीशन ने निरीक्षण के बाद गत वर्ष मार्च माह में नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम के लिए 6 सीटें तो पीडियाट्रिक सर्जरी और यूरोलॉजी में एमसीएच की 2-2 सीटें अलॉट की थीं।

सुपरस्पेशिलिटी चिकित्सा क्षेत्र में इसे शहर के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा गया। प्रदेश में पहली बार किसी संस्था में पल्मोनरी मेडिसिन के अंतर्गत डीएम की 6 सीटें एक साथ स्वीकृत हुईं। पहले बैच के एडमिशन के बाद पढ़ाई भी शुरू हो गई।

सूत्रों के अनुसार अब इस कोर्स के अगले बैच के प्रवेश पर संकट मंडरा रहा है। जिसकी बड़ी वजह फैकल्टी की कमी के रूप में सामने आ रही है। जानकारों का कहना है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और एक्विपमेंट होने के बाद भी फैकल्टी कम होने का खामियाजा मरीजों और स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ सकता है।

एसईपीएम में डीएम पाठ्यक्रम को अगले सत्र में भी जारी रखने के लिए फिलहाल पर्याप्त फैकल्टी नहीं है, ऐसे में कहा जा रहा है कि डीएम का पहला बैच, आखिरी बैच बन सकता है। फैकल्टी कम होने का असर दूसरे पाठ्यक्रमों पर भी पड़ा है।

एनएमसी के निरीक्षण के बाद संस्थान को रेस्पिरेटरी मेडिसिन के अंतर्गत एमडी की 2 सीटों में भी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसके बाद सीटों की संख्या 8 से घटकर 6 पर आ गई है।

अधूरी रह जाएगी ट्रेनिंग, मरीजों का भी नुकसान

विशेषज्ञों के अनुसार फैकल्टी कम होने का खामियाजा डीएम के वर्तमान बैच को भी भुगतना पड़ रहा है। कम फैकल्टी होने से विशेषज्ञ चिकित्सक कम होंगे, इससे मरीजों की संख्या घटेगी। मरीज कम होंगे तो डीएम के स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग प्रभावित होगी। कोर्स पूरा होने पर डिग्री तो मिल जाएगी, लेकिन प्रायोगिक ज्ञान कम होगा।

घट जाएगा संस्थान का कद

जानकारी के अनुसार एसईपीएम में फैकल्टी के पद भरने के लिए हाल में 10 पदों पर विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप के बाद आगे की प्रक्रिया फिलहाल रुक गई है।

जानकारों का कहना है कि अगर फैकल्टी पद इसी तरह खाली रहे तो राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के रूप में विकसित हाे रहे एसईपीएम का कद एक विभाग तक सिमट कर रह जाएगा।

यह है एमडी पाठ्यक्रम की वर्तमान स्थिति

जानकारी के अनुसार एमडी पाठ्यक्रम के लिए सीटों की संख्या फैैकल्टी की उपलब्धता पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रोफेसर को 3, एसोसिएट प्रोफेसर को 2 और असिस्टेंट प्रोफेसर को 1 सीट अलॉट होती है।

वर्तमान में सत्र 2021-22 और सत्र 2022-23 में क्रमश: 8-8 सीटों पर प्रवेश के बाद पढ़ाई हो रही है, लेकिन एसईपीएम में वर्तमान स्थिति के बाद सीटों का जो गणित है, उसमें सत्र 2023-24 में 8 की बजाय 6 सीटें ही अलॉट होने के आसार बन रहे हैं। पता चला है कि इस संबंध में एनएमसी ने निरीक्षण के बाद यह जानकारी दिसंबर माह में सूचित कर दी थी।

Created On :   1 April 2024 8:43 AM GMT

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