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Jabalpur News: सरकार के नियम सरकारी अस्पताल में ही लागू नहीं, मरीजों की सुरक्षा में लापरवाही

- जिला अस्पताल में न फायर एनओसी, न इलेक्ट्रिक सेफ्टी, बाल्टियों में रेत के भराेसे अग्नि से बचाव
- अस्पताल के वॉटर टैंक से पानी की सप्लाई के लिए मशीनरी आ गई है।
- अस्पताल में फायर और इलेक्ट्रिकल सेेफ्टी से जुड़े 39 बिंदुओं पर एनएचएम ने चेक लिस्ट मांगी है।
Jabalpur News: अस्पतालों में अग्नि दुर्घटनाओं के मामले सामने आने के बाद भी मरीजों की सुरक्षा को लेकर शासन गंभीर नहीं है। जिला अस्पताल विक्टाेरिया में अग्नि सुरक्षा की जिम्मेदारी फायर एक्सटिंगिशर और बाल्टियों में रेत के भरोसे है। फायर सेफ्टी नार्म्स के मुताबिक अस्पताल में कोई भी उपकरण नहीं है, जिसके चलते अस्पताल को आज तक फायर एनओसी नहीं मिल सकी है। यही नहीं अस्पताल का इलेक्ट्रिकल ऑडिट भी नहीं हुआ है।
करीब 2 वर्ष पहले एक निजी कंपनी को अस्पताल में अग्निशमक यंत्र एवं अन्य उपकरण लगाने का कार्य दिया गया था, लेकिन वह कंपनी बीच में कार्य अधूरा छोड़कर कर गायब हो गई थी। तब से अस्पताल के कुछ भवनों में आधे अधूरे पाइप, उसी अवस्था में लगे हुए हैं, जिस अवस्था में कंपनी ने उन्हें छोड़ा था। हालांकि प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार उक्त कंपनी ने हाल ही में फिर से कार्य शुरू कर दिया है।
अस्पताल के वॉटर टैंक से पानी की सप्लाई के लिए मशीनरी आ गई है। प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो जिला अस्पताल में अग्नि सुरक्षा न होने की जानकारी देने वाले अब तक 25 स्मरण पत्र एनएचएम को लिखे जा चुके हैं।
एनएचएम ने मांगी चेक लिस्ट
जानकारी के मुताबिक अस्पताल में फायर और इलेक्ट्रिकल सेेफ्टी से जुड़े 39 बिंदुओं पर एनएचएम ने चेक लिस्ट मांगी है। प्रबंधन ने चेक लिस्ट के सभी बिदुओं पर मौजूदा स्थिति से अवगत कराते हुए जवाब भेज दिया है। बताया जा रहा है कि यह एक तरह का इंटरनल लेवल का असेसमेंट है, ताकि अस्पताल के मौजूदा सेटअप में जो कमियां हैं, उन्हें इंगित कर दूर किया जा सके।
चेक लिस्ट के कुछ बिंदु
वर्तमान में फायर पंप, वेट राइजर्स, हाइड्रेंट वॉल्व, फर्स्ट एड हाउस रील्स, ऑटोमैटिक स्प्रिंकिलर सिस्टम नहीं हैं।
आईसीयू में फायर स्प्रिंकिलर नहीं हैं।
ओटी-आईसीयू, हेवी इक्यूपमेंट्स, इलेक्ट्रिकल पैनल रूम जैसी जगहाें पर फायर डिटेक्शन सिस्टम की जानकारी नहीं है।
पर्दे, बेडशीट, सीलिंग और वॉल क्लेडिंग्स अग्निरोधी पदार्थ के नहीं बने हैं।
इलेक्ट्रिकल ऑडिट में करीब डेढ़ करोड़ का खर्च, बजट नहीं
फायर एनओसी के लिए इलेक्ट्रिकल ऑडिट कराना जरूरी है। कुछ समय पूर्व प्रबंधन ने एमपीईबी के सुरक्षा बोर्ड के इंजीनियर्स को बुलाकर इलेक्ट्रिकल ऑडिट का असेसमेंट कराया था, जिसके बाद इंजीनियर्स ने तकरीबन डेढ़ करोड़ का खर्च बताया है। प्रबंधन के पास यह बजट नहीं है। बजट के लिए एनएचएम को पत्र लिखा गया था, जिसमें पीडब्ल्यूडी के माध्यम से यह कार्य कराने की बात कही गई थी।
कमियां दूर करने का प्रयास
भोपाल से अग्नि सुरक्षा को लेकर पत्र आया था, जिसमें चेक लिस्ट भी शामिल है। पत्र का जवाब भेज दिया गया है। अग्नि सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-डॉ. नवीन कोठारी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
Created On :   24 April 2025 12:56 PM IST