जबलपुर: नाला के निर्माण में देरी की जाँच करेगी अब उच्च स्तरीय कमेटी

नाला के निर्माण में देरी की जाँच करेगी अब उच्च स्तरीय कमेटी
  • दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर पर एनजीटी दिल्ली ने लिया संज्ञान
  • प्रदूषण नियंत्रण मंडल, जबलपुर कलेक्टर और अन्य को जारी किया नोटिस
  • एक प्रोजेक्ट पिछले 14 साल में भी पूरा नहीं हो पाया है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली ने जबलपुर शहर में पिछले 14 साल से लंबित स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम योजना पर आश्चर्य के साथ नाराजगी जताई है। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जुडीशियल मेजिस्ट्रेट अरुण कुमार व डॉ. अफरोज अहमद की संयुक्त पीठ ने प्रोजेक्ट की ताजा स्थिति की जाँच के लिए उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन किया है।

इस कमेटी में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, पर्यावरण विभाग के अधिकारी और जबलपुर कलेक्टर रहेंगे। कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिए कि वह स्थल निरीक्षण करके ड्रेनेज सिस्टम की वर्तमान स्थिति, उस पर किए गए खर्च और देरी का कारण की जाँच कर रिपोर्ट सौंपे। मामले पर अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।

गौरतलब है कि दैनिक भास्कर में 20 मई 2024 को 'नालों के पक्का करने में पौने चार सौ करोड़ खर्च और वर्क अब भी अधूरा' शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। एनजीटी दिल्ली ने इस खबर पर संज्ञान लेकर मामले पर सुनवाई की।

एनजीटी की बेंच ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि एक प्रोजेक्ट पिछले 14 साल में भी पूरा नहीं हो पाया है। एनजीटी ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली और मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव तथा जबलपुर कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब भी माँगा है।

ये करना है कमेटी को

एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिए कि जल प्लावन और उसे रोकने नाला निर्माण कार्यों का परीक्षण करे। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और उसके उपयोग की क्षमता का परीक्षण करे। कमेटी इस बात का भी परीक्षण करे कि पूरे प्रोजेक्ट में अब तक कितना पैसा स्वीकृत हुआ है और कितना निवेश हुआ है।

कमेटी जाँच के बाद इस बात का कारण भी बताएगी कि प्रोजेक्ट को पूरा करने में देरी क्यों हुई है। इतना ही नहीं एनजीटी की बेंच ने कमेटी को यह भी कहा कि वह शहर के पेय जल स्रोतों के सैंपल भी इकट्ठा करके उसका परीक्षण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कराएगी।

ऐसी थी योजना

नालों को पक्का करने का ठेका 374.99 करोड़ में दिया गया था। इसके लिए टेंडर वर्ष 2010 को जारी हुआ। ढाई साल में इसको पूरा करके देने की शर्त थी, लेकिन 14 साल बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा है। पाँच बड़े और 130 छोटे नालों को सीमेंटेड करना था। रिकॉर्ड के हिसाब से ही अभी 30 से 40 फीसदी काम बाकी है।

Created On :   31 May 2024 6:58 PM IST

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