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जबलपुर: जेडीए की 50 करोड़ रुपये की जमीन अधिकारियों की मिलीभगत से लुटी
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- सरकारी रिकाॅर्डों में प्राधिकरण के नाम पर है जमीन
- उक्त जमीन पर जेडीए का मालिकाना हक नियमानुसार है।
- मुआवजा देने के बाद भी जमीन की एनओसी देना सवालों के घेरे में हैं।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जेडीए के अधिकारियों ने किसी एक जमीन की एनओसी नहीं दी है बल्कि अनेक योजनाओं में ऐसा ही खेल किया है कि विकास प्राधिकरण को लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की क्षति हुई है।
अधारताल तहसील के अंतर्गत रानीपुर, लक्ष्मीपुर में खाली पड़ी जमीन जिसका जेडीए के नाम पर नोटिफिकेशन हो चुका है उन्हें पीछे के दरवाजे से दूसरों को निर्माण की एनओसी दी जा रही है, जबकि उक्त जमीन पर जेडीए का मालिकाना हक नियमानुसार है।
यह भी उल्लेख है कि नगर सुधार न्यास 1960 की धारा 71(2) में प्रकाशन हो जाने के उपरांत उक्त अधिनियम में भूमि मुक्त किए जाने का प्रावधान नहीं है। जेडीए के अधिकारी इसमें किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं कर सकते पर नियमों को ताक पर रखकर जबलपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा बेचने व निर्माण की अनुमति देने का गोलमाल धड़ल्ले से जारी है।
रोड पर बारात घर बन गया
जबलपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने उस जमीन की भी एनओसी दे दी, जहाँ पर रोड का निर्माण होना था। रोड की भूमि पर भी बारात घर का निर्माण हो गया और अधिकारी पूरी तरह इस मामले में भी चुप्पी साधे हुए हैं।
यह गोलमाल बंद नहीं हो रहा है। जेडीए के अधिकारी योजना क्रमांक 31 का मुआवजा 41 नंबर योजना एवं उखरी रोड के मेन रोड पर जेडीए की खाली पड़ी जमीन पर समझौते के प्लाॅट दिए जा रहे हैं। यहाँ पर जमीन की कीमत दस हजार वर्गफुट से कम नहीं है।
रेवड़ी की तरह बाँट रहे एनओसी
जानकारों का कहना है कि जेडीए के जिम्मेदार अधिकारी रेवड़ी की तरह एनओसी बाँट रहे हैं। खसरा नंबर 5/2/4, 8/2/7 का 11 नंबर योजना में आता है। योजना आज तक बंद नहीं हुई और योजना बंद नहीं होने के बाद भी 50 करोड़ की जमीन जेडीए ने वापस लौटा दी, जबकि उसका मुआवजा नगर सुधार न्यास सालों पहले दे चुका है।
इसके साथ ही योजना क्रमांक 31 व 28 में भी जेडीए ने एनओसी दी है। मुआवजा देने के बाद भी जमीन की एनओसी देना सवालों के घेरे में हैं।
ईओडब्ल्यू में शिकायत की तैयारी
शिकायतकर्ता सम्राट कुमार का कहना है कि मामले की शिकायत पूरे दस्तावेज के साथ ईओडब्ल्यू में की जाएगी। जिससे दोषी अधिकारियों के विरुद्ध पद के दुरुपयोग व शासन को क्षति पहुँचाने का मामला दर्ज हो सके।
हमारा किसानों से अनुबंध नहीं हो पाया
शासन ने 2022 में टीआईटी एक्ट समाप्त कर दिया है। जिन किसानों से अनुबंध नहीं हो पाया था उन जमीनों की एनओसी दी गई है। अगर किसी को गलत एनओसी जारी की गई तो उसका परीक्षण कराया जाएगा।
-दीपक वैद्य, सीईओ जबलपुर विकास प्राधिकरण
Created On :   29 Feb 2024 7:22 PM IST