Jabalpur News: बिजली कंपनियों में नवाचार हुए पर छाया रहा करप्शन का मुद्दा

बिजली कंपनियों में नवाचार हुए पर छाया रहा करप्शन का मुद्दा
  • पब्लिक को नहीं बता पाए स्मार्ट मीटर के फायदे, सौभाग्य योजना में घोटाले की जाँच पर उठे सवाल
  • पॉवर जनरेटिंग और पाॅवर ट्रांसमिशन कंपनी के एमडी को इस साल एक-एक वर्ष के कार्यकाल की वृद्धि मिली।
  • कंपनी सिर्फ मेंटेनेंस कंपनी तक सीमित होकर अकादमिक कार्य की ओर प्रेरित हो गई।

Jabalpur News: बिजली कंपनियों का मुख्यालय शक्तिभवन साल 2024 में अपनी उपलब्धियों और सकारात्मक नवाचारों की बजाय भ्रष्टाचार के कारनामों के लिए ज्यादा चर्चित रहा। सौभाग्य योजना में करोड़ों करप्शन के आरोप का मामला विधासभा में उठा, लेकिन कंपनी के अधिकारियों पर जाँच की आँच तक नहीं आई, यह बेहद चौंकाने वाला रहा। पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए घूसखोरी के आरोप तो खूब लगे, लेकिन शिकायतों की जाँच करने की हिम्मत नहीं दिखाई गई, जिससे कई नई बातें प्रमाणित होती नजर आईं। साल के आखिरी महीने में एक इंजीनियर तीस हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया।

स्मार्ट मीटर पर विवाद के बादल

बिजली कंपनियों के लिए वर्ष 2024 खट्टा-मीठा ही रहा। ईस्ट डिस्कॉम जहाँ एक ओर स्मार्ट मीटर थोपने की कोशिश करती रही, वहीं कांग्रेस इसको मुद्दा बनाकर लगातार विरोध दर्ज कराती रही। कांग्रेस के साथ आम उपभोक्ता के मन में यह बात गहरे रूप से बैठ गई कि स्मार्ट मीटर तेज गति से भागते हैं। इस मुद्दे को ईस्ट डिस्कॉम प्रभावी ढंग से स्पष्ट नहीं कर पाई। ईस्ट डिस्कॉम के मैदानी कार्यालय भी अपनी विवादास्पद कार्य प्रणाली के कारण आम उपभोक्ता के साथ सत्ताधारी दल से घिरते रहे।

विजय नगर संभाग में सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं ने कार्यपालन अभियंता की कार्य प्रणाली से क्षुब्ध होकर कार्यालय में तोड़-फोड़ करके इंजीनियरों के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा दिया। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में कृषि पम्पों के लोड बढ़ाने का मामला अभी भी गरमाया हुआ है। इसमें सबसे अधिक मुखर विरोध सत्ताधारी दलसे जुड़े किसान संगठन का ही है।

झूठे आँकड़े, ज्यादा ग्रांट महालेखाकार एजी ऑडिट ने भी ईस्ट डिस्कॉम पर आपत्ति दर्ज कराई कि अफसरों ने झूठे आँकड़े देकर भारत सरकार से ज्यादा की ग्रांट प्राप्त कर ली। ईस्ट डिस्कॉम में सत्ता का केन्द्र बोर्ड रूम से विकेंद्रित होकर उसके काॅर्पोरेट ऑफिस पर केंद्रित हो गया। इसके बाद भी अधिकारियों की वर्किंग में किसी तरह का बदलाव नहीं आया, बल्कि वे और भी बेलगाम हो गए।

रिटायर्ड इंजीनियरों के जलवे

पाॅवर जनरेटिंग कंपनी रिटायर्ड इंजीनियर की चारागाह में तब्दील हो गई, जिस पर उच्च न्यायालय ने भी गंभीर टिप्पणी की। इस टिप्पणी के बाद भी ऐसे रिटायर्ड इंजीनियर शर्मिंदा नहीं हुए। साल के अंत में बिजली कंपनियों में नए रोजगार के अवसर पैदा तो हुए लेकिन कुछ मुद्दों के विवादित होने के कारण बेरोजगार भ्रमित हुए और हो रहे हैं। सवाल यह है कि रिक्त पदों के लिए अगले वर्ष होने वाली परीक्षा कितनी पारदर्शी होगी, इस पर संदेह बना हुआ है।

अफसरों ने बंद रखीं आँखें

वैसे तो पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी बिजली कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है, लेकिन साल भर उसकी कार्यशैली से कहीं नहीं झलका कि वो सभी बिजली कंपनियों का नेतृत्व कर रही है। पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी के साल भर में दो प्रबंध संचालक बदल गए। नए प्रयोग के तौर पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव को पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी की जिम्मेदारी दे दी गई।

पॉवर जनरेटिंग और पाॅवर ट्रांसमिशन कंपनी के एमडी को इस साल एक-एक वर्ष के कार्यकाल की वृद्धि मिली। सरकार की नीति के चलते ट्रांसमिशन कंपनी के पास नए प्रोजेक्ट के नाम पर कुछ शेष नहीं रहा। यह कंपनी सिर्फ मेंटेनेंस कंपनी तक सीमित होकर अकादमिक कार्य की ओर प्रेरित हो गई।

Created On :   27 Dec 2024 2:41 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story