Jabalpur News: 3 करोड़ से बने तिलवारा तट की रौनक गायब, पूरी तरह से कब्जों की गिरफ्त में

3 करोड़ से बने तिलवारा तट की रौनक गायब, पूरी तरह से कब्जों की गिरफ्त में
  • अस्थाई अतिक्रमण बने मुसीबत, गांधी स्मारक के सामने से लेकर नीचे घाट तक बन रहीं झोपड़ियां
  • मां नर्मदा के मनोरम तट पर हर दिन हो रहे कब्जे बन रहे बाधा
  • मां नर्मदा के इस पवित्र तट पर लोग गंदगी और कचरे से भी परेशान हैं।

Jabalpur News: तिलवारा घाट इन दिनों बेतहाशा बढ़े अस्थाई कब्जों की गिरफ्त में है। इस तट पर गांधी स्मारक के सामने से लेकर घाट में नर्मदा के बहते जल की सीमा तक अस्थाई कब्जे किये जा रहे हैं। जिस तट को नगर निगम ने बीते कुछ सालों में 3 करोड़ की लागत से बनाया वह अब अतिक्रमणों की वजह से रौनक खोता जा रहा है। कई जगह तो कब्जों की वजह से यह स्थिति है कि शनिवार और रविवार जब तट में ज्यादा भीड़ होती है उस समय इनकी वजह से निकलना तक मुश्किल हो जाता है।

घाट के पार्किंग एरिया, तलहटी, कछार जहां कभी खेती होती थी, ऊपर के हिस्से में मेले का पार्किंग क्षेत्र हर जगह नई-नई झोपड़ियां बनती जा रही हैं। तट पर मां नर्मदा के दर्शन या स्नान के लिए आने वाले लोग कहते हैं कि नगर निगम की अनदेखी से इस तट की दुर्दशा बढ़ती जा रही है।

नदी के किनारे जो हिस्सा कभी सुंदर और मनोरम लगता था वह अब कब्जों की वजह से बदसूरत हो चला है। इसको लेकर नगर निगम को जल्द ही कदम उठाना चाहिए।

केवल 2 दिन होती है सफाई

मां नर्मदा के इस पवित्र तट पर लोग गंदगी और कचरे से भी परेशान हैं। तट पर जो अगरबत्ती, पाॅलीथिन के खाली पैकेट फेंके जाते हैं उनको केवल दो ही दिन साफ किया जाता है। शनिवार और रविवार को ही सफाई कर्मी इस तट पर कुछ सक्रिय रहते हैं।

शेष दिनों में सफाई न होने पर घाट पर हर तरफ कचरे के ढेर और यहां-वहां बिखरी गंदगी देखी जा सकती है। घाट पर नगर निगम ने 8 सफाई कर्मी तैनात जरूर किये हैं पर मौके पर एक को भी नहीं देखा जा सकता।

सिंगल यूज प्लास्टिक के हर तरफ लगे ढेर

सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन इस तट पर कब्जों के सामने ही लेमीनेटेड दोने, सिंगल यूज प्लास्टिक के भी ढेर लगे रहते हैं। घोषणा यह हुई कि तटों पर दुकान लगाने वाले किसी भी तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं कर सकते पर तट पर सिंगल यूज प्लास्टिक धड़ल्ले से बेची जा रही हैं।

दीपदान करने वाले पाॅलीथिन के लेप वाले लेमीनेट दोनों से दीपदान कर रहे हैं। जल में यही दोने बहाये जा रहे हैं जो किसी भी तरह से बहते जल में अपघटित नहीं होते हैं।

एक नजर इस पर भी

गांधी स्मारक के सामने 8 से 10 झोपड़ियां बन गईं

इससे नीचे उतरते ही दोनों ब्रिजों के बीच में कब्जे हैं

इसके आगे घाट पर दुकानों, पार्किंग एरिया में अतिक्रमण

सबसे ज्यादा बांस, बल्ली के हट बनाकर कब्जे किये गये

Created On :   14 April 2025 6:40 PM IST

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