Jabalpur News: बिजली से करोड़ों कमाए, जमीन पर ले लिया लोन, अब फिर कचरे के "कद्रदान' की तलाश

बिजली से करोड़ों कमाए, जमीन पर ले लिया लोन, अब फिर कचरे के कद्रदान की तलाश
  • नगर निगम में अब बड़े खेल की तैयारी, निर्णय पर उठ रहे सवाल
  • नगर निगम ने वर्ष 2016 में कठौंदा में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने के लिए एस्सल कंपनी को जमीन दी थी।
  • एस्सल कंपनी ने पिछले 8 साल से नगर निगम को कचरे का भुगतान नहीं किया।

Jabalpur News: नगर निगम के कठौंदा स्थित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर एस्सल कंपनी नगर निगम को करोड़ों का गच्चा दे चुकी है। इसके बाद भी नगर निगम के अधिकारी एक बार फिर इसे निजी हाथों में देने की तैयारी कर रहे हैं। नगर निगम के इस रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि नगर निगम को खुद वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का संचालन करना चाहिए।

नगर निगम ने वर्ष 2016 में कठौंदा में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने के लिए एस्सल कंपनी को जमीन दी थी। एस्सल कंपनी ने यहां पर 11.5 मेगावाॅट का प्लांट लगाया। कंपनी ने यहां पर कचरे से बिजली

बनाना शुरू कर दिया। प्लांट में कचरा नगर निगम द्वारा दिया जाना था। इसकी एवज में कंपनी द्वारा नगर निगम को 20 रुपए प्रति टन कचरे के हिसाब से भुगतान करना था। कंपनी को हर महीने बिजली बेचने से 4 करोड़ रुपए की आय हुई।

ये भी अजब: गिरवी रख दी लीज की जमीन और कर्ज भी नहीं चुकाया

एस्सल कंपनी को वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने के लिए नगर निगम ने वर्ष 2016 में जमीन लीज पर दी थी। एस्सल कंपनी ने प्लांट संचालन के लिए लीज पर ली गई नगर निगम की जमीन को ही बैंक में गिरवी रखकर लोन ले लिया। इसके बाद लोन नहीं चुकाया। इससे लोन की राशि अब 178 करोड़ रुपए हो चुकी है। इस राशि को कौन चुकाएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

बैंक ने टेकओवर किया प्लांट

विभागीय सूत्रों का कहना है कि कर्ज वसूली के लिए बैंक ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को टेकओवर कर लिया। इसके बाद मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में पहुंच गया। एनसीएलटी ने इस मामले के निराकरण के लिए रीसोल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति कर दी है। रीसोल्यूशन प्रोफेशनल ने अब प्लांट का संचालन दूसरी कंपनियों को देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।

निगम को नहीं किया 100 करोड़ से ज्यादा का भुगतान

एस्सल कंपनी ने पिछले 8 साल से नगर निगम को कचरे का भुगतान नहीं किया। अनुबंध के अनुसार नगर निगम को 20 रुपए प्रति टन कचरे का भुगतान करना था। विभागीय सूत्रों के अनुसार कंपनी ने नगर निगम को कचरे का 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान नहीं किया है।

ठेके की प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हुआ नगर निगम

विभागीय सूत्रों ने बताया कि प्लांट के टेकओवर होने पर प्लांट संचालन के ठेके की प्रक्रिया में शामिल होने का पहला हक नगर निगम का था, लेकिन नगर निगम ठेके की प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ। इससे एक बार फिर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निजी हाथों में जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

ठेके में भी गड़बड़झाला

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के नए ठेके में भी गड़बड़झाला सामने आ रहा है। ठेके की प्रक्रिया से हायर बिड डालने वाले को बाहर कर दिया गया है। लोवर बिड डालने वाले को ठेका देने की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि उस कंपनी के पास कचरे से बिजली बनाने का अनुभव भी नहीं है।

कमीशन के फेर में पूरा खेल

नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा का कहना है कि नगर निगम के पास पर्याप्त अमला है, एक्सपर्ट इंजीनियर्स हैं। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से हर माह 4 करोड़ रुपए की िबजली बिक रही है। ऐसे में नगर निगम को प्लांट का संचालन अपने हाथों में लेना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है कि कमीशनखोरी के चक्कर में नगर निगम के अधिकारी प्लांट को नहीं चलाना चाहते।

प्लांट के बारे में बात करने से बच रहे अधिकारी

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के बारे में बात करने से नगर निगम के अधिकारी बच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि मामला एनसीएलटी में विचाराधीन है। इसलिए मामले में विधि विभाग ही सही जानकारी दे पाएगा। वहीं विधि विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही इस मामले की सही जानकारी दे पाएंगे।

Created On :   15 April 2025 5:27 PM IST

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