Jabalpur News: नगर निगम की वर्कशॉप में खराब पड़ीं 17 करोड़ रु. की 60 मशीनें और वाहन

नगर निगम की वर्कशॉप में खराब पड़ीं 17 करोड़ रु. की 60 मशीनें और वाहन
  • गड़बड़झाला: महँगे दाम पर खरीद रहे घटिया वाहन, निगम को लग रहा चूना, खामोशी साधे बैठे जिम्मेदार
  • जल विभाग के अंतर्गत पानी के 8 टैंकर पूरी तरह से कबाड़ हो गए हैं।
  • जानकारों का कहना है कि पैचवर्क मशीन की कीमत 70 लाख रुपए से अधिक नहीं है।

Jabalpur News: नगर निगम में महँगे रेट पर घटिया मशीनें और वाहन खरीदने का खेल लंबे समय से चल रहा है। पिछले दिनों सवा 2 करोड़ रुपए की तीन स्वीपिंग मशीनें पौने 10 करोड़ में खरीदने के मामले का खुलासा होेने के बाद परत-दर-परत राज खुलने लगे हैं।

नगर निगम के वर्कशॉप में 17 करोड़ के वाहन और मशीनें खराब पड़ी हैं, जिनकी खरीदी पिछले 10 साल के भीतर की गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि महँगे रेट में खरीदे गए वाहन और मशीनें क्यों खराब हो रहे हैं और जिम्मेदार खामोशी साधकर बैठे हुए हैं। उक्त मामलों की अभी तक जाँच तक नहीं की गई है।

जानकार सूत्रों ने बताया कि नगर निगम द्वारा वर्ष 2016 में दो रोड स्वीपिंग मशीनें 10 करोड़ रुपए में इटली से खरीदी गई थीं। पुर्जे नहीं मिलने के कारण दोनों मशीनें खराब पड़ी हैं। नाले की सफाई के लिए 10 साल पहले 80 लाख रुपए में खरीदी गई एक बड़ी हिटाची मशीन और 2 करोड़ रुपए की चार मिनी हिटाची मशीनें कबाड़ में तब्दील हो गई हैं। एक करोड़ रुपए की दो जेसीबी मशीनें वर्कशॉप के कबाड़ में पड़ी हुई हैं। फायर ब्रिगेड में 20 लाख रुपए का एक रेक्स्यू वाहन चलने लायक नहीं बचा है। 40 लाख रुपए की दो जेट मशीनें पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं।

पानी के 8 टैंकर हो गए कबाड़

जल विभाग के अंतर्गत पानी के 8 टैंकर पूरी तरह से कबाड़ हो गए हैं। इन टैंकरों को 8 साल पहले 40 लाख रुपए में खरीदा गया था। सूत्रों का कहना है कि जल विभाग के अधिकारी जानबूझकर पानी के टैंकरों की मरम्मत नहीं करा रहे हैं, ताकि नए टैंकरों की खरीदी की जा सके।

पैचवर्क मशीन की खरीदी पर उठे सवाल

नगर निगम ने 15 दिन पहले पैचवर्क हाट मिक्स मशीन 1 करोड़ 5 लाख रुपए में खरीदी है। इस मशीन की खरीदी पर भी सवाल उठने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि 15 दिन के भीतर पैचवर्क मशीन से शहर में कहीं पर भी सड़क सुधार का काम नहीं किया गया है। स्थिति यह है कि नगर निगम के पास पैचवर्क मशीन चलाने के लिए ऑपरेटर तक नहीं है। पैचवर्क मशीन की कीमत पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पैचवर्क मशीन की कीमत 70 लाख रुपए से अधिक नहीं है।

ठेकेदार एक, कंपनी अलग-अलग

नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा ने आरोप लगाया है कि नगर निगम द्वारा ठेकेदार धीरज मदान से ही मशीनों और वाहनों की खरीदी की जा रही है। ठेकेदार द्वारा हर बार नई कंपनी के नाम पर सप्लाई की जाती है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि मशीनों और वाहनों की खरीदी के लिए ऐसी शर्त रखी जाती है, जिसे कोई ठेकेदार पूरा नहीं कर सके। इससे स्पष्ट है कि ठेकेदार और नगर निगम के अधिकारियों के बीच मिलीभगत है। इसकी स्वतंत्र एजेन्सी से जाँच कराई जानी चाहिए। इसमें बड़ा खेल सामने आ सकता है।

Created On :   4 Feb 2025 7:10 PM IST

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