जबलपुर: दो साल बाद भी नहीं हटे कैचमेंट एरिया के अतिक्रमण, सौंदर्यीकरण का वादा भी अधूरा

दो साल बाद भी नहीं हटे कैचमेंट एरिया के अतिक्रमण, सौंदर्यीकरण का वादा भी अधूरा
  • माढ़ोताल के हाल: तालाब को शासकीय मद में दर्ज हुए काफी वक्त बीता, आज भी बदहाली
  • तालाब के कैचमेंट एरिया में आज भी अतिक्रमण जस के तस जमे हुए हैं।
  • करीब 54 एकड़ तालाब का काफी हिस्सा आज भी सुरक्षित है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के मध्य में स्थित माढ़ोताल तालाब को शासकीय मद में दर्ज हुए 2 वर्ष का समय बीत चुका है। इस बीच जनप्रतिनिधियों ने भी इस प्राकृतिक जल स्त्रोत को व्यवस्थित करने और इसके सौंदर्यीकरण का वादा किया था, जो अभी भी अधूरा है।

तालाब के कैचमेंट एरिया में आज भी अतिक्रमण जस के तस जमे हुए हैं। क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि नगर निगम एवं जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते यहाँ दिन-ब-दिन नए-नए अवैध कब्जे भी हो रहे हैं। इसके बावजूद कोई भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

पिछले माह माढ़ोताल की सफाई के दौरान क्षेत्रीय विधायक अभिलाष पांडेय ने तालाब के स्वरूप को निखारने की बात कही थी, लेकिन हालात अभी भी जैसे के तैसे बने हुए हैं।

तालाब तक पानी जाने की जगह ही नहीं बच रही

क्षेत्रीयजन पुरुषोत्तम उपाध्याय, रामलाल ठाकुर, हरदयाल दुबे एवं मनीष राठौर आदि का आरोप है कि नगर निगम की उदासीनता के चलते यहाँ अवैध कब्जे बढ़ रहे हैं। इन हालातों में वह जगह भी बाधित होती जा रही है जहाँ से बरसात का पानी बहकर तालाब तक जा सकता था।

इतना ही नहीं आसपास दूध डेयरियों का संचालन भी धड़ल्ले से किया जा रहा है। मनमोहन नगर, संचार नगर, साई काॅलोनी व आसपास की अन्य कॉलोनियों से जो बरसाती पानी बहकर तालाब में आता था, उसका रास्ता भी नवनिर्मित पुल के पास बंद कर दिया गया है। बारिश में इसे खोला जाना चाहिए।

जल भराव वाले क्षेत्र में चल रहीं डेयरियाँ

क्षेत्रीयजनों ने बताया कि अनेक शिकायतों के बावजूद आज भी माढ़ाेताल तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण फैले हुए हैं। पिछले 2 दशकों में शहर के महापौर के अलावा वर्तमान व पूर्व क्षेत्रीय विधायकों एवं पार्षदों ने भी इन अवैध कब्जों को चिन्हित करवाकर संबंधित कब्जेधारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया, लेकिन इसके बावजूद उक्त तमाम अतिक्रमण आज भी पहले की तरह काबिज हैं।

यहाँ तक माढ़ोताल पुरानी बस्ती की ओर से तालाब में आने वाली नाले नुमा ढलान पर भी कई पक्के निर्माण कर लिए गए हैं। नागरिकों का कहना है कि जल भराव वाले क्षेत्र और बरसाती पानी के आवागमन वाले रास्तों पर हुए कब्जों को शीघ्र हटाया जाना चाहिए।

न पौधे लगे और न ही गहरीकरण हो पाया

न्यायालय के हस्तक्षेप व तत्कालीन कलेक्टर इलैयाराजा टी की पहल पर वर्ष 2022 में माढ़ोताल तालाब को म.प्र. शासन के नाम पर दर्ज कराया गया है। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) अधारताल नम: शिवाय अरजरिया ने तालाब की भूमि के समस्त बटाँकों को निरस्त किया था।

करीब 54 एकड़ तालाब का काफी हिस्सा आज भी सुरक्षित है। कार्यालय संयुक्त संचालक ग्राम एवं निवेश के अधिकारियों के अनुसार इस तालाब के 50 मीटर के क्षेत्र में फल व फूलदार पौधाें का रोपण किया जा सकता है। इस परिधि में किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध है।

क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि नियमों की उक्त बातें महज फाइलों में दर्ज हैं। तालाब का अब तक न तो पूरी तरह गहरीकरण हो पाया और न ही यहाँ पर नियमानुसार पौधों का रोपण ही हो सका है।

कराया जा रहा है परिसीमन- विधायक पांडेय

क्षेत्रीय विधायक अभिलाष पांडेय से तालाब के विकास के संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने कुछ दिनों पूर्व ही इसे अपने विकास प्लान में शामिल किया है। इसी के तहत एक माह का अभियान चलाकर इसकी जनसहयोग से सफाई की थी।

हमारा संकल्प है कि माढ़ोताल तालाब का हर हाल में संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों से तालाब का परिसीमन कराने और डीपीआर बनवाने के लिए भी चर्चा की है।

यह बात सही है कि जिस प्राकृतिक रास्ते से तालाब तक पानी आता है, वहाँ कुछ अतिक्रमण हैं। नियमानुसार परिसीमन के बाद प्रशासन के सहयोग इस पर कार्रवाई कराई जाएगी।

Created On :   19 July 2024 9:46 AM GMT

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