जबलपुर: देखते ही देखते जिंदगियाँ लील लेता है गहरा पानी, सुरक्षा के इंतजाम नदारद

देखते ही देखते जिंदगियाँ लील लेता है गहरा पानी, सुरक्षा के इंतजाम नदारद
  • जिलहरीघाट, सिद्धघाट सहित अन्य स्थानों पर बीते 6 माह में जा चुकी है 14 लोगों की जान
  • एसडीईआरएफ के जवान समय-समय पर घाटों का जायजा लेते रहते हैं।
  • पिकनिक स्पॉट्स या फिर नर्मदा के तटों पर सुरक्षा के आवश्यक प्रबंध नहीं हैं।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। गर्मी के इस दौर में पानी वाले स्थान सभी को आकर्षित करते हैं। लोग पिकनिक मनाने या सैर सपाटे के लिए नदियों व जलाशयों के आसपास पहुँच रहे हैं। ये तो ठीक है, लेकिन इसका दूसरा गंभीर पहलू भी नागरिकों को चिंतित कर रहा है।

वह पहलू यह है कि पिकनिक स्पॉट्स या फिर नर्मदा के तटों पर सुरक्षा के आवश्यक प्रबंध नहीं हैं। आँकड़ों पर गौर करें तो इसी साल जनवरी माह से जून महीने के मध्य तक 14 लोगों की जिलहरीघाट एवं सिद्धघाट में डूबने से माैत हो चुकी है। भेड़ाघाट व अन्य तटों पर भी हादसे हुए हैं।

लोगों का कहना है कि इसके लिए कहीं न कहीं प्रशासन व पुलिस की उदासीनता भी जिम्मेदार है। तटों से गहराई का अनुमान बताने वाले व जागरूकता वाले संकेतक और सुरक्षा के इंतजाम भी नदारद हैं। लोगों का कहना है कि इस तरह के सार्वजनिक स्थानों पर यदि गोताखोरों या फिर सुरक्षा के अन्य इंतजाम किए जाएँ तो लोगों की जान बचाई जा सकती है।

चेतावनी बोर्ड और पोल लगाना भी जरूरी नहीं समझा

लोगों का कहना है कि गौरीघाट में स्थित विभिन्न घाटों पर सामने आ रहीं इन घटनाओं के बावजूद यहाँ चेतावनी बोर्ड तक नहीं लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा घाटों में सुरक्षा के लिए जंजीर लगे पोल्स और इमरजेंसी डॉक्टर की सुविधा भी होनी चाहिए जो कि नदारद ही है।

पुलिस का कहना है कि वे और एसडीईआरएफ के जवान समय-समय पर घाटों का जायजा लेते रहते हैं। इसके अलावा नाविकों को भी यह प्रशिक्षण दिया गया है कि जैसे ही कोई व्यक्ति पानी में डूबने लगे तो उसे बचाकर किस तरह से किनारे पर लाया जाए और तत्काल थाने में किस तरह से इसकी सूचना दी जाए।

मृतकों में स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट ज्यादा

गौरीघाट पुलिस की मानें तो सिद्धघाट, जिलहरीघाट एवं दरोगाघाट के आसपास बीते जनवरी माह से 10 जून तक कुल 14 लोगों की पानी में डूबने से मौत हुई है। इनमें अकेले जून माह में ही 4 मौतें यहाँ डूबने से हुई हैं और जो मौतें हुई हैं उनमें से अधिकांश मृतक 19 से 27 वर्षीय युवक-युवतियाँ ही रहे हैं।

उनके अलावा इक्का-दुक्का महिलाएँ अथवा प्रौढ़ावस्था के लोग शामिल हैं। जिन युवकों के डूबने की घटनाएँ सामने आई हैं वे स्कूल-कॉलेज और किसी पैरामेडिकल अथवा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के विद्यार्थी रहे हैं।

Created On :   22 Jun 2024 8:43 AM GMT

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