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छिंदवाड़ा: बाघ की नहीं थी कॉलर आईडी, वन विभाग नहीं कर पाया ट्रेस
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. बड़चिचोली से सटे सीमावर्ती क्षेत्र के ग्राम जूनापानी में शनिवार को किसान जब्बार शेख के खेत के कुएं में गिरने से हुई बाघ के मौत के मामले में महाराष्ट्र के नागपुर वन विभाग की टीम विवेचना कर रही है। वहीं इस जांच में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघ की कॉलर आईडी नहीं होने के कारण वन विभाग इसकी लोकेशन टे्रस नहीं कर पाया। वन विभाग के पास इस बात का रिकार्ड नहीं था कि बाघ की लोकेशन महाराष्ट्र या एमपी के किस क्षेत्र में है। नतीजन इस लापरवाही का खामियाजा बाघ के मौत की एक वजह बना। पांढुर्ना वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रभुराम मुछाला ने बताया कि महाराष्ट्र के वन अधिकारियों से हुई चर्चा के अनुसार बाघ को कोई कॉलर आईडी नही लगी थी। ऐसे में उसके एमपी या महाराष्ट्र के जंगलों के होने की पुष्टी नही हो सकी है। चूंकि कुएं में डूबने से ही बाघ की मौत होने की पुष्टी होने से विभागीय टीम ने नियमानुसार शव का पीएम कराकर दाह संस्कार कर दिया।
पूर्व में ग्रामीण दे चुके सूचना, नहीं लिया संज्ञान
दूसरी ओर करीब एक महीने पहले मेहराखापा के समीप ग्रामीणों ने इसी प्रकार का बाघ दिखने की बात बताई थी। इस पर वन अधिकारियों ने इस गंभीरता से नहीं लेते हुए सिर्फ इसे अफवाह बताया था। हालंाकि यह जरुर कहा गया कि सूचनाओं के आधार पर संबंधित बाघ के लोकेशन को टे्रस करने का प्रयास किया जा रहा है।
नागपुर में हुआ बाघ के शव का पीएम व अंतिम संस्कार।
शनिवार की रात करीब आठ बजे बाघ के शव को कुएं के बाहर निकालकर नागपुर के रेस्क्यू सेंटर ले जाया गया। रविवार को रेस्क्यू सेंटर में ही बाघ के शव का विधिवत पोस्टमार्टम् कर उसका अंतिम संस्कार किया गया। इधर दूसरी ओर बाघ की मौत को लेकर ग्रामीणों की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
ग्रामीणों ने वन अमले पर लगाए लेटलतीफी के आरोप
कुएं में डूबने से बाघ की मौत होने के मामले में ग्रामीणों ने वन अमले की लेटलतीफी से बाघ की मौत होने की बात कही है। घटनास्थल महाराष्ट्र की ग्राम पंचायत सेमड़ा के अंतर्गत आता है। यहां के सरपंच वीरेन्द्र उर्फ गोलू देवराम गिरारे ने बताया कि गांव के ही प्रदीप परसराम फरकाड़े ने किसान जब्बार शेख का खेत ठेके पर लिया है। शनिवार को जब प्रदीप कुएं में पानी का लेवल देखने पहुंचा तो उसे पानी में बाघ नजर आया। जिसकी सूचना उसने शिवार के अन्य किसानों को दीं। जिसके तुरंत बाद ही वन अमले को भी कुएं में बाघ होने की सूचना दे दी गई पर वन अमले ने लापरवाही बरती। यदि समय रहते वन अमला बाघ को कुएं से बाहर निकालने के लिए सतर्कता दिखाता तो बाघ की जान बचाई जा सकती थी।
Created On :   18 Dec 2023 1:14 PM GMT