छिंदवाड़ा: कांग्रेस को अब शहर में बड़ा झटका, निगम के सात पार्षद भाजपा में शामिल हुए

कांग्रेस को अब शहर में बड़ा झटका, निगम के सात पार्षद भाजपा में शामिल हुए
  • कांग्रेस को अब शहर में बड़ा झटका, निगम के सात पार्षद भाजपा में शामिल हुए
  • जाने वालों में एससी-एसटी ज्यादा

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। कांग्रेस से पलायन का सिलसिला थम नहीं रहा है। अब जिला मुख्यालय में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को नगरनिगम के सात कांग्रेस पार्षदों ने भोपाल में भाजपा का गमछा धारण कर लिया। भाजपा के जबलपुर क्लस्टर प्रमुख व प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के समक्ष भाजपा की सदस्यता ली। पार्षदों के दल ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भी मुलाकात की है। भाजपा ज्वाइन करने वाले सात पार्षदों में से ४ महिला पार्षद हैं। सात पार्षदों के पाला बदलने से निगम की सत्ता में काबिज कांग्रेस का गणित डांवाडोल हो गया है।

इन्होंने बदला पाला, पर क्यों जानिए...

कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल होने वाले पार्षदों में लीना तिरगाम, संतोषी वाडिवा, जगदीश गोदरे, धनराज भूरा भांवरकर, चंदू ठाकरे और रोशनी सल्लाम शामिल हैं। हालांकि रोशनी भोपाल नहीं पहुंची उनके पति बबलू विश्वकर्मा शामिल रहे। भाजपा ज्वाइन करने वालों के मुताबिक उन्होंने वार्ड में विकास कार्यों के लिए भाजपा ज्वाइन की है। पार्षद बनने के बाद से ही उनके वार्डों में काम नहीं हो रहे थे। जो काम हुए उनका भुगतान नहीं होने से आगे कार्य रुक गए। अब नगरीय प्रशासन मंत्री को कार्यों की सूची बनाकर दी है7

३ पार्षद और जाने वालों की कतार में:

कांग्रेस छोडक़र भाजपा में जाने वालों की कतार में अभी नगरनिगम के तीन पार्षद और बताए जा रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि ७ की जगह १० पार्षद भोपाल जाने वाले थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं के मानमनौव्वल और दबाव के चलते वे रुक गए।

जाने वालों में एससी-एसटी ज्यादा:

भाजपा में शामिल हुए ७ पार्षदों में तीन आदिवासी वर्ग से हैं, जबकि २ पार्षद अनुसूचित जनजाति वर्ग से है। ऐसे में अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी छिड़ गई है कि क्या एससी-एसटी वर्ग कांग्रेस से नाराज है। जबकि नगरनिगम महापौर खुद आदिवासी वर्ग से हैं।

निगम में अब कैसी होगी तस्वीर...

१. नगरनिगम में महापौर और अध्यक्ष का पद सहित परिषद कांग्रेस की है। कुल ४८ वार्डों वाले निगम में कांग्रेस के २८ और भाजपा के २० पार्षद हैं। सात कांग्रेस पार्षदों के भाजपा में जाने अब भाजपा पार्षदों की कुल संख्या बढक़र २७ तक पहुंच गई है। जबकि कांग्रेस के पास २१ पार्षद शेष बचे हैं।

२. कांग्रेस पार्षदों के भाजपा में जाने से फिलहाल कोई खास असर परिषद में नहीं दिखेगा। वजह परिषद के कार्यकाल को अभी सिर्फ डेढ़ साल हुए हैं। जबकि नियमों के तहत २ वर्ष पूरे होने पर ही अध्यक्ष पद के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

३. ७ पार्षदों के भाजपा में जाने से भाजपा बहुमत की स्थिति में आ गई है। जबकि कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में परिषद के सम्मेलनों में यदि भाजपा के पार्षद एकमत रहते हैं तो प्रस्ताव पास कराने में फिलहाल कांग्रेस सक्षम नहीं होगी।

४. सात पार्षदों के भाजपा में ज्वाइन होने से पहले तक निगम में भाजपा के कुल २० पार्षद भी दो गुटों में बंटे हुए हैं। एक गुट में ८ तो एक में १२ पार्षद बताए जाते हैं। अब कांग्रेस से आए सात पार्षद किस गुट का हिस्सा बनेंगे या इनका अपना गुट होगा यह भविष्य में नजर आएगा।

ठगे गए नेताजी... पार्षदों को ले जाने वाले को भाजपा ने नहीं लिया:

खासबात यह कि सात कांग्रेस पार्षदों को भाजपा में शामिल कराने के लिए उन्हें तैयार कराने से लेकर भोपाल ले जाने तक और नगरीय प्रशासन मंत्री से मुलाकात कराने तक की कसरत करने वाले नेताजी को भाजपा ने लेेने से इनकार कर दिया। नेताजी पूर्व पार्षद के साथ एक समुदाय विशेष से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि पार्षदों को उन्होंने ज्वाइनिंग से पहले फंडिंग भी की है।

जानिए... आखिर कैसे रुकी नेताजी की ज्वाइनिंग:

कांग्रेस पार्षदों को ज्वाइन कराने के लिए सोमवार को भोपाल पहुंचे एक समुदाय विशेष से जुड़े पूर्व पार्षद का स्थानीय भाजपा ने जमकर विरोध किया। उनके पहुंचने से पहले ही भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू सहित अन्य नेताओं ने वरिष्ठ नेताओं के समक्ष उनकी कुंडली पहुंचा दी। फिर क्या था पहुंचते ही वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मना कर दिया। जबकि पार्षदों को अपने विश्वासपात्र के साथ सीएम डॉ मोहन यादव से मुलाकात कराने भिजवा दिया। यही नहीं एलके नामक कांग्रेसी भी भोपाल में ज्वाइनिंग के लिए डेरा डाले हुए थे, उन्हें भी जिला भाजपा के वीटो के चलते नहीं लिया गया।

Created On :   6 March 2024 5:03 AM GMT

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