मध्य प्रदेश: नहीं सुलझ रहा गुनौर की जनभागीदारी दुकानों का विवाद, गजट नोटिफिकेशन के बाद भी नगर परिषद को नहीं सौंपी गई दुकानें

  • गजट नोटिफिकेशन के बाद भी नगर परिषद को नहीं सौंपी गई दुकानें
  • नहीं सुलझ रहा गुनौर की जनभागीदारी दुकानों का विवाद
  • जनभागीदारी से निर्मित 69 दुकानें भी नगर परिषद को सौंपी गई थी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-03 17:21 GMT

डिजिटल डेस्क, ब्यूरो पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में नवगठित गुनौर नगर परिषद में जनभागीदारी से पंचायत काल में निर्मित दुकानों पर विवाद खडा हो गया है। बताया जाता है कि गुनौर बस स्टैण्ड के समीप 169 दुकानों का निर्माण पंचायत काल में कराया गया था। उस समय कुछ दुकानें स्थानीय लोगों को आवंटित की गई। आवंटन प्रक्रिया के दौरान कई दुकानें शेष भी रह गई थी। यहां दुकानों में वैद्य आवंटित दुकान और कब्जाधारियों का विवाद अलग से चल रहा था। इसी बीच गुनौर नगर परिषद का गठन हुआ। गठन के दौरान ग्राम पंचायत सिली, पडेरी और गुनौर की विभिन्न संपत्तियों को बकायदा गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से नगर परिषद को सौंप दिया गया। इस दौरान ग्राम पंचायत पडेरी का ग्राम स्वराज भवन, पम्प हाउस, सामुदायिक भवन, सामुदायिक महिला परिषद एवं सामुदायिक स्वच्छता परिसर, ग्राम पंचायत सिली का पंचायत भवन, ग्राम स्वराज भवन, पम्प हाउस, कंबल बुनाई केन्द्र, दुग्ध संग्रहण केन्द्र, गौशाला एवं ग्राम पंचायत गुनौर का बालवाडी, पंचायत भवन, मानस भवन, पंचायत निर्मित 13 दुकानें, कांजी हाउस, सामुदायिक स्वच्छता परिसर सहित जनभागीदारी से निर्मित 69 दुकानें भी नगर परिषद को सौंपी गई थी।

कागजों में यह काम पूरा भी हो गया लेकिन अभी तक जनभागीदारी दुकानों पर कार्यवाही नहीं हुई है। दुकानें अभी तक नगर परिषद को सौंपी नहीं गई है। बताया जाता है कि दुकानों के आवंटन एवं किराया आदि की जानकारी भी नगर परिषद को नहीं दी गई। नगर परिषद गुनौर की अध्यक्ष अर्चना मलखान सिंह का कहना है कि गजट नोटिफिकेशन के बाद भी प्रशासन द्वारा दुकानों को परिषद के सुपुर्द नहीं किया जा रहा है। जिसका फायदा अवैध कब्जाधारी उठा रहे हैं। ग्राम पंचायत का विलय होने के बाद अब इन दुकानों का कोई स्वामी नहीं है यही कारण है कि मनमाने ढंंग से लोगों ने यहां कब्जा जमा लिया है। विदित हो कि इन अवैध कब्जाधारियों को हटाने के लिए एसडीएम गुनौर द्वारा नगर परिषद तहसीलदार एवं थाना पुलिस को पत्र भी लिखा गया था लेकिन इस पत्र पर भी कोई अमल नहीं हुआ और दुकानों में अवैध कब्जा लगातार जारी है। वहीं हस्तांतरण में हो रही देरी से नगर परिषद को भी बडे राजस्व की हानि हो रही है।

टाईपिंग त्रुटि ने भी फंसाया मामला

नगर परिषद को ग्राम पंचायतों की संपत्ति विलय को लेकर गजट नोटिफिकेशन हेतु की गई कार्यवाही में जनभागीदारी समिति गुनौर की 169 दुकानों के स्थान पर टाईपिंग त्रुटि के चलते सिर्फ 69 ही लेख किया गया। अधिकारियों की लापरवाही के चलते हुई इस लिपिकीय त्रुटि के चलते गजट नोटिफिकेशन में भी महज दुकान क्रमांक 1 से 69 ही लेख किया गया है जबकि दुकानों की कुल संख्या 169 है। ऐसे में अब शेष बचीं 100 दुकानों को लेकर पृथक से हस्तांतरण की संपूर्ण प्रक्रिया की जायेगी। इसके अलावा कई आवंटित दुकानों के दुकानदारों द्वारा वर्षो ंसे किराया भी अदा नहीं किया है। कई लोग दुकान आवंटन प्रक्रिया एवं अन्य अनियमित्ताओं को लेकर उच्च न्यायालय में भी प्रकरण लंबित हैं। इन सभी कारणों के चलते नगर परिषद को नुकसान उठाना पड रहा है। वहीं प्रशासन भी इस मामले को जल्द निपटाने में रूचि नहीं दिख रहा है यही कारण है नगर परिषद के गठन के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह विवाद अब भी बना हुआ है।

इनका कहना है

यह मामला मेरे संज्ञान में है मेरे द्वारा गुनौर एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वह सभी अभिलेख इस संबंध के एकत्रित करें कुछ मामले हाई कोर्ट में भी चल रहे हैं इस सभी का अध्ययन करने के बाद ही आगे कार्यवाही की जावेगी।

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