1971 win over Pak: राहुल गांधी बोले- एक समय था, जब पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे

1971 win over Pak: राहुल गांधी बोले- एक समय था, जब पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-16 12:21 GMT
1971 win over Pak: राहुल गांधी बोले- एक समय था, जब पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने इस युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका को लेकर कहा कि एक समय था, जब पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री का लोहा मानते थे और सीमा का उल्लंघन करने से डरते थे। 

एक ट्वीट में, राहुल गांधी ने कहा, 1971 में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत की सालगिरह पर देश के लोगों और सशस्त्र बलों की वीरता को श्रद्धांजलि। यह एक समय था जब पड़ोसी देश भारत का लोहा मानते थे और देश की सीमाओं का उल्लंघन करने से डरते थे।

दिसंबर, 1971 में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी सेना पर एक निर्णायक और ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश नाम के एक नए देश का जन्म हुआ। इस दौरान द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण भी हुआ था। 16 दिसंबर से भारत 50 वर्षो के भारत-पाक युद्ध का जश्न मना रहा है जिसे स्वर्णिम विजय वर्ष भी कहा जाता है। 1971 के युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्विटर पर लिखा, भारत ने 1971 में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था और भारत की सत्ता और संप्रभुता का झंडा गाड़ दिया था। देशभक्ति से प्रेरित इंदिरा गांधी और बहादुर भारतीय सशस्त्र बल के अधिकारियों को श्रद्धांजलि। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा दूसरे कांग्रेस नेताओं ने भी इंदिरा गांधी और सशस्त्र बलों को सलामी दी।

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, 1971 का युद्ध अकेले भारत के हितों की रक्षा करने के लिए नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में शांति की रक्षा के लिए था। जिस तरह से यह आयोजित किया गया उससे सही राष्ट्रवाद झलकता है। कोई अहंकार नहीं था, कोई बड़बोलापन नहीं था, फिर भी भारत ने एक जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति की भूमिका निभाई।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी एक वीडियो संदेश में कहा, 16 दिसंबर 1971 को भारत दक्षिण एशिया क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरा। बहुत कम नेताओं के पास इतनी शक्ति थी और मौका था जो नक्शे को ही बदल दे। लेकिन ये काम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनकी बहादुर सेना ने बांग्लादेश को आजाद करा कर दिखा दिया।

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी विजय दिवस पर देश के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, देश अपने बहादुर सैनिकों और आयरन लेडी इंदिरा गांधी का ऋणी है। कांग्रेस पार्टी ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट में कहा, हम भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों और इंदिराजी के नेतृत्व को सलाम करते हैं, जिन्होंने न केवल 1971 के भारत-पाक युद्ध में विजय हासिल की, बल्कि बांग्लादेश में लाखों लोगों के आंसू पोछे।

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के भारत-पाकिस्तानयुद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई। नेशनल वार मेमोरियल पर प्रज्‍जवलित चार विक्ट्री मसाल अब देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाए जाएंगे, जिनमें परमवीर चक्र और महावीर चक्र पाने वाले गांव भी शामिल हैं।

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