सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर की मांग पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा
नफरती भाषण सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर की मांग पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से निचली अदालत के इनकार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ माकपा नेता बृंदा करात की याचिका पर सोमवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा पर सीएए विरोधी प्रदर्शनों को लेकर कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप है।
न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने कहा किया कि प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट का यह रुख कि भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी की जरूरत थी, सही नहीं था। यह कहते हुए कि सीआरपीसी की धारा 196 के तहत उस मंजूरी के तहत अदालतों का तर्क सही नहीं हो सकता।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल जून में माकपा नेताओं करात और के.एम. तिवारी ने ठाकुर और वर्मा के खिलाफ उनके कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
ट्रायल कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि भाजपा नेताओं ने लोगों को भड़काने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं।
याचिकाकर्ताओं ने जनवरी 2020 में दिल्ली में एक रैली का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि ठाकुर ने शाहीन बाग के विरोधी सीएए प्रदर्शनकारियों की आलोचना करने के बाद भीड़ को भड़काऊ नारे लगाने के लिए उकसाया। साथ ही, वर्मा ने उसी महीने शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक भड़काऊ भाषण दिया।
अगस्त 2021 में ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की शिकायत खारिज कर दी थी।
(आईएएनएस)
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