गुजरात की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी बड़े बदलाव की तैयारी में भाजपा
राजनीति गुजरात की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी बड़े बदलाव की तैयारी में भाजपा
डिजिटल देश, नई दिल्ली। भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ गुजरात को माना जाता है तो वहीं मध्य प्रदेश को भाजपा और संघ परिवार की प्रयोगशाला के रूप में जाना जाता है। गुजरात में भाजपा 1995 से लगातार चुनाव जीत रही है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा आलाकमान ने चुनाव से लगभग 14 महीने पहले सितंबर 2021 में बहुत ही शांति से मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार का चेहरा बदल दिया था। 2022 में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से 156 सीटों पर जीत हासिल कर नया रिकॉर्ड बना दिया और गुजरात की वर्तमान विधान सभा में 105 नए चेहरे हैं।
भाजपा मध्य प्रदेश में 2018 के विधान सभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही इस प्रदेश में बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी कर रही है जो किन्ही न किन्ही कारणों की वजह से अब तक टलता ही जा रहा था, लेकिन चूंकि अब राज्य में विधान सभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हुए हैं इसलिए अब पार्टी आलाकमान पूरी तरह से बदलाव का मूड बना चुकी है। पार्टी के सूत्र यह बता रहे हैं कि इसके लिए कर्नाटक के चुनावी नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। कर्नाटक में 10 मई को चुनाव और 13 मई को मतगणना होनी है।
दरअसल, भाजपा ने मध्य प्रदेश में 2003, 2008 और 2013 के लगातर तीन विधान सभा चुनावों में जीत हासिल कर राज्य में सरकार बनाई थी। लेकिन 2018 में हुए पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था। 2018 के पिछले चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को कमलनाथ- दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तिकड़ी ने 109 पर ही रोक दिया था। राज्य की कुल 230 सदस्यीय विधान सभा में 114 पर जीत हासिल कर, कांग्रेस ने अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाकर उस समय भाजपा को एक बड़ा राजनीतिक झटका दे दिया था। चुनाव हारने के बाद भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया।
लेकिन 15 महीनों बाद कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के के कारण कमलनाथ सरकार गिर गई और राज्य में दोबारा से भाजपा की सरकार बनी। उस समय बदलाव की तमाम अटकलों के बीच तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भाजपा आलाकमान ने शिवराज सिंह चौहान को फिर से भोपाल भेज कर राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया था। लेकिन कुछ महीनों बाद राज्य में होने वाले विधान सभा चुनाव और अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए अब पार्टी आलाकमान बदलाव का मूड पूरी तरह से बना चुकी है।
भाजपा आलाकमान के पास मध्य प्रदेश के विधायकों, मंत्रियों और सरकार के कामकाज की विस्तृत रिपोर्ट है। जानकारी के मुताबिक, पार्टी के 70 से ज्यादा विधायकों और एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की रिपोर्ट अच्छी नहीं है और इसने पार्टी आलाकमान को चिंता में डाल दिया है।
हालांकि इससे पहले पार्टी प्रदेश में छिटपुट बदलाव करती रही है। मार्च 2020 में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार गिरने से एक महीने पहले 15 फरवरी 2020 को पार्टी ने लोक सभा सांसद विष्णु दत्त शर्मा को मध्य प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था, जिनका तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है।
पिछले साल, मार्च 2022 में भाजपा ने मध्य प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव करते पार्टी के तत्कालीन प्रदेश महासचिव (संगठन) सुहास भगत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में वापस भेजकर हितानंद शर्मा को प्रदेश भाजपा का नया महासचिव (संगठन ) नियुक्त किया था। संगठन और सरकार के बीच में समन्वय की भूमिका अदा करते हुए हितानंद शर्मा पिछले एक साल से लगातार सबके कामकाज की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जिसका असर आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश में नजर आएगा लेकिन यह सब कुछ कर्नाटक विधान सभा चुनाव के नतीजों पर निर्भर करता है।
(आईएएनएस)
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