एंग्लो-इंडियन समुदाय ने मांगा प्रतिनिधित्व
उत्तर प्रदेश एंग्लो-इंडियन समुदाय ने मांगा प्रतिनिधित्व
- अनुरोधों का जवाब नहीं
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एंग्लो-इंडियन समुदाय ने संसद और राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व के अपने अधिकार की बहाली की मांग की है, जिसे भारत सरकार ने 2020 में एक संवैधानिक संशोधन के माध्यम से खत्म कर दिया था।
ऑल इंडिया एंग्लो-इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष-इन-चीफ, बैरी ओब्रायन ने कहा कि, भारत में समुदाय की जनसंख्या 4 लाख से अधिक है, लेकिन 2011 की एक गलत जनगणना में इसे सिर्फ 296 दिखाया गया है। इससे विधायी निकायों में समुदाय के प्रतिनिधित्व के अधिकार को खत्म कर दिया गया था। उन्होंने कहा, हमने सरकारों को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन हमारे अनुरोधों का जवाब नहीं दिया गया है।
गौरतलब है कि एंग्लो-इंडियन अंग्रेजी और भारतीय वंश के मिश्रण हैं। चूंकि समुदाय किसी राज्य का मूल निवासी नहीं था, इसलिए इसके सदस्यों को संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए नामांकित किया गया था।
उन्होंने कहा, हमने भारतीय संस्कृति को अपनाया है और समय के साथ स्थानीय भाषाओं को सीखा है। 1960 के दशक में केवल 10 प्रतिशत एंग्लो-इंडियन आबादी हिंदी बोलती थी, लेकिन आज यह बढ़कर लगभग 95 प्रतिशत हो गई है।
आईएएनएस
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