एक जिला तीन मंत्री आपसी खींचतान से आगामी चुनावों में बीजेपी को उठाना पड़ सकता है नुकसान

  • सागर के तीन मंत्री
  • भाजपा के भीतर घमासान
  • शिवराज ने भार्गव-राजपूत को सुना

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-24 12:51 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश भाजपा के भीतर घमासान थम नहीं रहा। ताजा मामला सागर से नाता रखने वाले तीन मंत्रियों व विधायकों के बीच का है। नेताओं के बाद शिवराज सरकार के मंत्री विधायकों के बीच खींचतान बढ़ने लगी है। मंगलवार को कैबिनेट बैठक के ठीक बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री व सीनियर नेता गोपाल भार्गव, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विधायक शैलेंद्र जैन, विधायक प्रदीप लारिया और सागर जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की।  सीएम ने तमाम मामलों को लेकर भार्गव-राजपूत की बात सुनी।

मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान मंत्री विधायकों ने मिलकर नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह की शिकायत की। सभी ने मिलकर कहा कि भूपेंद्र को समझाओं वरना वे सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। सभी ने भूपेंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे विरोधियों को प्रश्रय दे रहे हैं।  सागर में उनके बिना कुछ काम नहीं हो रहा है। जानबूझकर हमारी छवि धूमिल की जा रही है। सागर के हालत  ठीक नहीं है, जबकि कुछ माह बाद ही राज्य में चुनाव है। 

इस पूरी चर्चा को लेकर नाराज मंत्रियों का कहना है कि लंबे समय से शिकायत कर रहे थे। लेकिन पानी सिर से ऊपर हो गया। इसलिए अब सब एक साथ आकर सीएम से बात की है। बताया जा रहा है कि नाराज नेताओं ने सीएम से मुलाकात के बाद बीजेपी प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी मुलाकात की। 

अगले महीने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश का दौरा कर सकते है, ऐसे में बीजेपी नेताओं के बीच तनातनी आगामी चुनावों में नुकसान पहुंचा सकती है।

खुरई से भूपेंद्र सिंह, सुरखी से गोविंद सिंह और रहली से गोपाल भार्गव सागर से शिवराज सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री शामिल है। सागर स्मार्टसिटी में शामिल है और नरयावली विधानसभा की भौगोलिक संरचना सागर के इर्द गिर्द है। भूपेंद्र सिंह नगरीय विकास मंत्री है। तीन मंत्रियों वाले जिले में अब और मंत्री बनाना भी संभव नहीं है। लिहाजा आगामी चुनावों को देखते हुए अगर मंत्रियों के बीच बनी खींचतान खत्म नहीं तो परिवर्तन की गाज कभी भी गिर सकती है।  वैसे भी आपको बता दें सागर की राजनीति में जातीय समीकरण काफी मायने रखता है। बीजेपी के भीतर बनी खींचतान और नाराजगी कभी भी सामुदायाकि फूट में तब्दील हो सकती है।

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