लोहड़ी त्योहार: आ रहा है खुशियों का त्योहार लोहड़ी, जानें इसके महत्व और मान्यताओं के बारे में
- लोहड़ी एक प्रमुख पंजाबी त्योहार है
- देश के सभी प्रांतों में किया जाता सेलिब्रेट
- इस साल 14 जनवरी को मनाया जाएगा
डिजिटल डेस्क, नईदिल्ली। लोहड़ी एक प्रमुख पंजाबी त्योहार है जो पंजाब और हिन्दुस्तान के लगभग सभी प्रान्तों के लोगों के बीच खास महत्व रखता है। यह त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल यह 14 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाएगा। पारंपरिक तौर पर देखें तो लोहड़ी फसल की कटाई और नई फसल की बुआई के साथ जुड़ा हुआ त्योहार है। इस दौरान लोहड़ी की आग में रेवड़ी, मूंगफली, रवि की फसल के तौर पर तिल, गुड़ आदि चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस तरह सिख धर्म के लोग सूर्य और अग्नि देवता का आभार व्यक्त करते हैं। जिनकी कृपा से फसल अच्छी होती है और घर में समृद्धि आती है।
लोहड़ी का मुख्य उद्देश्य फसलों की खुशहाली और आपसी खुशियों को साझा करना होता है। इसे धरती माता की कृपा का प्रतीक माना जाता है और लोग इस त्योहार के दौरान धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं। लोहड़ी की शुरुआत धुंधली धुंध में होती है। इस दौरान लोग एक साथ आग के चारों ओर बैठकर गाते हैं, नाचते हैं और जमकर जश्न मनाते हैं। लोग आग के चारों ओर पूजनीया के मक्का (पॉपकॉर्न), गुड़, मूंगफली आदि को डालते हैं और इसे जलाते हैं। इस रस्म को 'लोहड़ी माता की आग' कहा जाता है। इस पावन मौके पर लोग एक-दूसरे को गुड़-गाजक और तिल के लड्डू भेंट कर एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
इस त्योहार के मनाने के पीछे कई प्राचीन कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। एक कथा के अनुसार, राजा दहेनु महाराज ने अपने पुत्र कुला और गुला को अंधविश्वास में बाढ़ से बचाने के लिए उन्हें बहावे के टूंग बहने के लिए छोड़ दिया था। उनके साथ संगठित भक्तों ने प्रार्थना की और धूप-चावल लेकर आग लगाई। इससे उन्हें बाढ़ से बचाया गया और उनके बचने के बाद लोग इसे लोहड़ी के त्योहार के रूप में मनाते हैं।
लोहड़ी के त्योहार में विशेष रूप से पंजाबी और सिन्धी लोगों के साथ साथ सभी वर्ग समुदाय विशेष भी बड़े ही उत्साह से मनाते हैं। इस दौरान लोग खुले मैदानों, घर के आँगन , घरों की छतों पर बैठकर अपनी बानी-गीत गाते हैं, नाचते हैं और हर्ष उल्हास के साथ धमाल करते हैं। यह त्योहार एक साथ मिलने और खुशियों को साझा करने का अवसर भी प्रदान करता है।
लोहड़ी का त्योहार भारतीय समृद्धि और विविधता का प्रतीक
मान्यता है कि जब प्रकृति माँ धरती पर अपनी विशेष कृपा बरसाती है, तो इसका शुभ संकेत होता है। जब फसलें प्रसन्नता से उगती हैं और खेतों में हरियाली बिखर जाती है, तो उस समय किसान और लोगों के दिलों में खुशी की लहर उमड़ती है। ऐसी खुशी का पर्व है 'लोहड़ी' जो पंजाबी-सिंधी समाज के साथ साथ सभी हिन्दुस्तानियों के लिए भी एक बड़ा त्योहार माना जाता है। अग्नि पूजा के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार में अग्नि को लोहड़ी माता की आग कहा जाता है। लोग इसमें तिल, गुड़, गजक, मूंगफली आदि डालते हैं और इसे जलाते हैं। इसके साथ ही, बच्चे धूप-मक्का खाकर अपने गुरूजी भगवन को धन्यवाद करते हैं।
यह त्योहार हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसे बड़े ही उत्साह के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान दोस्तों और परिवार के संग समय बिताना बहुत ही खास होता है। लोहड़ी त्योहार भारतीय समृद्धि और विविधता का प्रतीक है। यह एक तरह से समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, यह त्योहार लोगों में एकता की भावना को उजागर करता है साथ ही लोगों को एक-दूसरे के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।