ईधन संकट की वजह से श्रीलंका अंधेरे में डूबा, स्कूल व सरकारी दफ्तर बंद करने के आदेश
श्रीलंका आर्थिक संकट ईधन संकट की वजह से श्रीलंका अंधेरे में डूबा, स्कूल व सरकारी दफ्तर बंद करने के आदेश
- ईंधन की कमी को दूर करने के लिए श्रीलंका ने नया तरीका अपनाया
- श्रीलंका गुजर रहा ऐतिहासिक संकट से
डिजिटल डेस्क,कोलंबो। श्रीलंका एक तरफ आर्थिक संकट से जूझ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ ईधन संकट की वजह से अंधेरे में डूब गया है। श्रीलंका के कई शहरों में बिजली समस्या से लोगों को अंधेरा में रहना पड़ रहा है। इन दिनों श्रीलंका सबसे बुरे समय से गुजर रहा है। देश आर्थिक स्थित से उभर नहीं पाया और उसके सामने अब एक और बड़ी चुनौती आ खड़ी है।
ईंधन की कमी को दूर करने के लिए श्रीलंका ने नया तरीका अपनाया है। बताया जा रहा है कि सरकार की तरफ सरकारी दफ्तरों व स्कूलों को बंद करने की घोषणा की गई है। जिससे ईंधन की बचत की जा सके। द्वीपीय देशों में ईधन की किल्लत के कारण श्रीलंका सरकार की तरफ से ये फैसला लिया गया है। श्रीलंका की जनता में सरकार के खिलाफ काफी असंतोष भी है।
बिजली संकट ने बढ़ाई मुसीबत
इन दिनों श्रीलंका दो समस्याओं से घिर चुका है। हर दिन श्रीलंका की स्थित बिगड़ती जा रही है। बिजली संकट अब श्रीलंकाई सरकार के सामने मुसीबत बन खड़ी हुई है। इस संकट से निपटने के लिए सरकार को आनन-फानन में कड़े फैसले लेने पड़ रहे हैं। तो वहीं आर्थिक समस्या की वजह से खाने के लाले पड़ गए है। जनता जबरदस्त महंगाई की मार झेल रही है। यहां तक की सरकार के खिलाफ भारी विरोध भी हो रहा है। बिजली समस्या से निपटने के लिए सरकार ने नया फॉर्मूला अपनाया है।
सरकार की तरफ से सरकारी कार्यालय के साथ स्कूलों को बंद करने के लिए सख्त आदेश दिए गए हैं। इस वक्त श्रीलंका सरकार के पास इससे निपटने के लिए कोई ठोक उपाय भी नहीं बचे है। ऐसे हालात में कोलंबो शहर के सभी सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के शिक्षकों को अगले हफ्ते से ऑनलाइन कक्षाएं चलाने के लिए कहा गया है।
आर्थिक संकट बना मुसीबत
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तबाह हो चुकी है। लोगों को डीजल-पेट्रोल लेने के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। राशन, दवाईयों, पानी को लेने के लिए दिनभर इंतजार करना पड़ रहा है। खबरों के मुताबिक सरकारी दफ्तर भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है।
श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा की कमी
इन दिनों श्रीलंका के विदेशी मुद्रा की कमी के कारण काफी दबाव बढ़ता जा रहा है। देश में लगातार ईंधन की मात्रा तेजी से कम होने के कारण श्रीलंकाई सरकार पर काफी बोझ है। ईंधन आयात के लिए लिए श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भुगतान का भी दबाव बन रहा है। श्रीलंका इस वक्त अपनी आजादी 1948 के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की कगार पर है और चीन का भारी कर्ज है। देश भर में राजपक्षे परिवार के खिलाफ काफी अंसतोष का माहौल है। भारी विरोध के बाद कुछ महीने पहले महिंदा राजपक्षे को पीएम पद से हटाया भी गया है लेकिन हालात अभी भी नियंत्रण से बाहर ही हैं। वहां की जनता श्रीलंका में बने हालात को लेकर महिंद्रा राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रही है।