अपनों से मिले धोखे से निराश पाकिस्तान ने फैलाए भारत के सामने हाथ, मदद के लिए गिड़गिड़ाए पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाक के बदले सुर अपनों से मिले धोखे से निराश पाकिस्तान ने फैलाए भारत के सामने हाथ, मदद के लिए गिड़गिड़ाए पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-01 11:02 GMT
अपनों से मिले धोखे से निराश पाकिस्तान ने फैलाए भारत के सामने हाथ, मदद के लिए गिड़गिड़ाए पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
हाईलाइट
  • पाकिस्तान इस समय खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान के सुर बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। वह अब भारत से आर्थिक संबंध स्थापित करने की बात करने लगा है। भारत के प्रति पाकिस्तान के इस बदले हुए रवैये की वजह अपने मित्र राष्ट्रों से न मिलने वाला सहयोग है। दरअसल, आर्थिक संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान इस वक्त सहयोग की उम्मीद में है लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी है। सऊदी अरब, यूएई और यहां तक की चीन जैसे सहयोगियों ने भी उसका साथ देने से मना कर दिया है। इन देशों का पाकिस्तान से साफ कहना है कि, बिना अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से समझौते के वो उसे कर्ज नहीं देंगे। 

शहबाज शरीफ ने जताई भारत के साथ साझेदारी की इच्छा

ऐसे समय में अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ साझेदारी करने की इच्छा जताई है। तुर्की दौरे पर जाने से पहले पत्रकारों  से चर्चा करते हुए पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि, वह भारत सहित अन्य देशों के साथ भू-आर्थिक रणनीति के लिए साझेदारी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जियो-इकोनॉमिक की जगह पर जियो स्ट्रेटेजी को महत्व देते हुए जुड़ाव के आधार पर पार्टनरशिप करना चाहता हैं।

शहबाज शरीफ ने भारत के साथ आपसी व्यापार के विषय पर कहा कि, भारत और पाकिस्तान को आपसी व्यापार से काफी फायदा होगा। हम उन आर्थिक फायदों के बारे में अच्छे से जानते हैं कि जो हमें भारत के साथ व्यापार करने से हो सकते हैं। बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले भी भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने की बात कर चुके हैं। 

गौरतलब है कि, पाकिस्तान इस समय खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है। महंगाई से आम लोगों का जीवन दूभर हो गया है। देश में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस से लेकर बिजली की दरों में भी भारी इजाफा हो गया है। इसके साथ देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान में भी श्रीलंका जैसे हालात बन सकते हैं।  

 

 
 

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