व्रत: मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत का संयोग, इस विधि से करें शिव जी की पूजा, जानिए मुहूर्त
- महादेव को प्रसन्न करने के लिए शुभ दिन
- महादेव की असीम कृपा पाने का है दिन
- प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक साथ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इससे पहले त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। लेकिन, ज्येष्ठ माह में अद्धभुत संयोग बना है, जब मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक साथ आ गए हैं। आज 04 जून 2024, मंगलवार को ये व्रत रखे गए हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, महादेव को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बेहद ही शुभ रहेगा।
बता दें कि, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों ही व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं और भक्त महादेव की असीम कृपा पाने इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं, मुहूर्त और पूजा विधि...
त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 4 जून की रात 12 बजकर 18 मिनट (AM) से
त्रयोदशी तिथि समापन: 4 जून की रात 10 बजकर 1 मिनट (PM) तक
प्रदोष व्रत पूजा समय: रात 07 बजकर 16 मिनट से रात 09 बजकर 18 मिनट तक
चतुर्दशी तिथि आरंभ: 4 जून की रात 10 बजकर 1 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समापन: 5 जून की शाम 7 बजकर 54 मिनट तक
मासिक शिवरात्रि पूजा समय: रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 40 मिनट (AM) तक
पूजा विधि
दोनों ही व्रत में महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा की जाती है। शिव जी की पूजा में प्रथम भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। उनके अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से अभिषेक किया जाता है।
अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करते हैं। अंत में गांजा,भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित किया जाता है। दोनों ही व्रत में पूरा दिन निराहार रहकर इनके व्रत का पालन किया जाता है। वहीं रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।