Karwa Chauth Sargi Samay: करवा चौथ पर सरगी का है बड़ा महत्व, जानें खाने का मुहूर्त

  • सास द्वारा अपनी बहू को दी जाती है सरगी
  • श्रृंगार के साथ खाने- पीने की सामग्री होती है
  • सूर्योदय से 2 घंटे से पूर्व खाना होती है सरगी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-19 10:48 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य के लिए हर साल करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत रखती हैं। इस बार यह व्रत 20 अक्टूबर, रविवार को रखा जा रहा है। हर व्रत की तरह इसमें भी कई अलग-अलग नियमों का पालन करना पड़ता है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होता है, जिसके बाद व्रती महिलाएं चंद्रोदय तक बिना आहार और पानी के रहती हैं। इस व्रत की पूजा में कई प्रकार की सामग्री शामिल की जाती है। इनमें सरगी को अहम माना गया है। आइए जानते हैं क्या है सरगी का महत्व? साथ ही जानते हैं सरगी खाने का मुहूर्त।

क्या है सरगी?

करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से ही मानी जाती है। यह एक प्रकार से सास द्वारा अपनी बहू को दिया गया आशीर्वाद है। सरगी की थानी सास खुद सजाती है, जिसमें 16 श्रृंगार की सभी समाग्री काजल, बिंदी, सिंदूर, लाला साड़ी, तुनरी, महावर, गजरा, बिछिया, मेहंदी, शीशा, कंघा आदि) के अलावा फल (केला, सेब, अंगूर, अनार आदि) मिठाई और मेवे शामिल होते हैं। यदि बहू गर्भवती है तो इसमें फलों का जूस और नारियपल पानी भी रखा जा सकता है। सरगी को व्रत शुरू होने से पहले खाया जाता है। वहीं सास के ना होने पर जेठानी या बहन भी ये परंपरा ​निभा सकती हैं।

सरगी खाने का मुहूर्त

ज्योतिषविदों के अनुसार, सरगी का सेवन ब्रह्म मुहूर्त में यानि कि सूर्योदय से 2 घंटे से पूर्व करना चाहिए। इस बार सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर है। ऐसे में सरगी लेने का समय सुबह 3 बजकर 30 मिनट से लेकर 4 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

इन बातों का रखें ध्यान

करवा चौथ के व्रत में सरगी का सेवन शुभ माना गया है, साथ ही इससे दिनभर आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। लेकिन, ध्यान रहे सरगी का सेवन स्नान और फिर भगवान की पूजा करने के बाद करना चाहिए। यहां एक और महत्वपूर्ण बात यह कि, सरगी के दौरान मिर्च, मसाले और तेल वाले खाद्य पदार्थ भूल कर भी नहीं खाना चाहिए। 

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