दिवाली 2024: आंतरिक और बाहरी शुद्धता का महत्व सिखाता है दीपावली का त्योहार, जानें दीपावली पर क्यों होती है लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा

  • क्यों होती है गणेश जी और लक्ष्मी जी की साथ में पूजा?
  • इसलिए की जाती है दिवाली में सफाई
  • क्यों मनाते हैं दीपावली का त्योहार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-16 11:04 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को बहुत महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। जिस तरह सावन माह भगवान शिव को समर्पित है उसी तरह कार्तिक माह भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में ही भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागते हैं जिसके बाद से सभी तरह के मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं इसलिए इसे तप, साधना और भक्ति का महीना भी माना जाता है। इस महीने में किए गए धार्मिक कार्यों का फल जीवनभर मिलता है जिस कारण इसे शुभ और पवित्र मास कहा गया है। ये मास हमें सिखाता है कि भक्ति और साधना से जीवन में सुख और शांति पाई जा सकती है। वहीं, बात करें त्योहारों की तो इस महीने का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली है, जो कार्तिक मास की अमावस्या तिथी को मनाया जाता है। यह भगवान राम के अयोध्या लौटने का पर्व है जिसमें लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। इस साल दीपावाली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। इसके अलावा करवा चौथ, गोवर्धन पूजा, तुलसी पूजा जैसे और भी कई त्योहार इस महीने में मनाए जाते हैं। तो ऐसे में आइए आज हम महापर्व दीपावली के कुछ रोचक बातों के बारे में जानते हैं।

क्या है दीपावली का त्योहार?

दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है भारत के सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन घर-घर में दीप जलाए जाते हैं, रंगोली सजाई जाती है और मिठाइयां बांटी जाती हैं। यह पूजा सुख-शांति, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। एक ओर जहां लक्ष्मी जी को धन, वैभव और समृद्धि की देवी माना जाता है, तो वहीं दूसरी ओर गणेश जी को विघ्नहर्ता और शुभ-लाभ के देवता माना जाता है। यह पूजा हमें साफ-सफाई, अनुशासन और सकारात्मक विचार का महत्व भी सिखाती है। इसमें पूजा से पहले घर की साफ-सफाई की जाती है, जो हमें आंतरिक और बाहरी शुद्धता का महत्व सिखाता है। साथ ही, लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा से हमें यह सीख मिलती है कि हमें शारीरिक और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखना चाहिए। दिवाली का पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, जो हमें जीवन में सकारात्मकता और ज्ञान की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाता है। अंत में यह पूजा हमें जीवन में सफलता और समृद्धि के साथ-साथ धैर्य, संयम और आभार व्यक्त करने की सीख देती है। यह त्योहार हमें अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाने का भी मौका देता है।

दीपावली पर क्यों होती है लक्ष्मी-गणेश जी की एक साथ पूजा?

आपने अकसर देखा होगा कि दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा होती है पर कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य है। माता लक्ष्मी जहां धन-संपादा की स्वामिनी हैं, वहीं श्री गणेश बुद्धि-विवेक के स्वामी हैं। अब ऐसे में बिना बुद्धि-विवेक के तो धन-संपदा को पाना तो कठिन होता है इसलिए माता लक्ष्मी के साथ गणेशजी की पूजा करना जरूरी है।

माता लक्ष्मी की उत्पत्ति जल से हुई थी और क्योंकि जल हमेशा चलायमान रहता है इस कारण इनका दूसरा नाम चंचला भी है। जल की ही तरह माता लक्ष्मी भी एक स्थान पर नहीं ठहरती हैं। इन्हें संभालने के लिए बुद्धि-विवेक की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि बिना बुद्धि-विवेक के लक्ष्मी को संभाल पाना मुश्किल है। ऐसा कहा जाता है कि जब मनुष्य को लक्ष्मी मिलती है तब उसकी चकाचौंध में वह अपना सारा विवेक खो देता है और बुद्धि से काम नहीं करता। इसलिए दिवाली पूजन में लक्ष्मीजी के साथ हमेशा गणेशजी की भी पूजा की जाती है ताकि लक्ष्मी के साथ-साथ बुद्धि की भी प्राप्ति हो।

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