सतना: कंधे के सहारे कपड़े की डोली में इलाज के लिए पन्ना से अमदरा लाए जाते हैं सीरियस पेशेंट

  • मैहर में मृतिका का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है।
  • गली दुर्गम रास्ता इतना विकट है कि पगडंडियों पर सिर्फ पैदल चला जा सकता है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-09 14:07 GMT

डिजिटल डेस्क,सतना। देश मंगल ग्रह पर पहुंच गया लेकिन सतना-मैहर जिले की सरहद से लगे पन्ना जिले के आदिवासी बाहुल्य महगंवा बराहौं के गरीब आदिवासियों को अभी भी इलाज मयस्सर नहीं है।

इस गांव से शाह नगर ब्लाक मुख्यालय की दूरी ५० और पवई की दूरी ९० किलोमीटर है। सबसे निकट २५ किलोमीटर पर स्थित कल्दा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं है। मजबूरी में आदिवासी ग्रामीण ५ किलोमीटर लंबा दुर्गम पहाड़ी इलाका पार कर जैसे-तैसे मैहर जिले के अमदरा में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं।

जंगली दुर्गम रास्ता इतना विकट है कि पगडंडियों पर सिर्फ पैदल चला जा सकता है। साइकिल की सवारी तक दूभर है। गंभीर किस्म के रोगियों को परिजन कंधे के सहारे कपड़े की डोली में लाते हैं। इस ५ किलोमीटर की दूरी पूरी करने में तकरीबन २ घंटे का समय लगता है।

सर्पदंश से पीडि़त महिला की रास्ते में मौत:

बताया गया है कि शनिवार को महगवां बराहौं गांव की ४० वर्षीया मीना बाई पति सोने आदिवासी सर्पदंश से पीडि़त महिला की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई। पहले गांव में ही झाड़-फूंक कराई गई लेकिन जब हालत और बिगड़ी तो उसे कपड़े की डोली में कंधे के सहारे इलाज के लिए उपचार के लिए अमदरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।

मगर तब तक देर हो चुकी थी। गांव में दूर-दूर तक मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण परिजन १०८ एम्बुलेंस को कॉल नहीं कर पाए। कहते है,अगर एम्बुलेंस को कॉल भी कर लिया जाता तो सडक़ के अभाव में गाड़ी गांव तक नहीं पहुंच पाती। मैहर में मृतिका का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है।

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