पुणे: सॉफ्टेक इंजीनियर्स की संपत्ति कुर्क के आदेश

  • 1.77 करोड़ की वसूली का मामला
  • कलेक्टर ने शुरू की कार्रवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-21 13:52 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। जिला प्रशासन ने 1.77 करोड़ की वसूली के एक मामले में सॉफ्टवेयर कंपनी सॉफ्टेक इंजीनियर्स के खिलाफ संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी है. बेकर रोड पुणे की यह कंपनी आईटी पर आधारित सेवाएं प्रदान करती है. विजय गुप्ता की अगुवाई वाली सॉफ्टेक इंजीनियर्स के खिलाफ यह कार्रवाई एमएसएमई फैसिलिटेशन काउंसिल के भुगतान संबंधी आदेश का पूरा पालन नहीं करने के कारण की जा रही है. एमएसएमई फैसिलिटेशन काउंसिल ने भोपाल की एक आईटी सर्विस कंपनी सी-नेट इंफोटेक प्रा. लि. ने सॉफ्टेक इंजीनियर्स द्वारा अपना भुगतान नहीं करने के कारण एमएसएमई काउंसिल में यह केस लगाया था.

एमएसएमई फैसिलिटेशन काउंसिल, एमपी ने 27 सितंबर 2023 को ही 1.77 करोड़ रुपए के भुगतान के आदेश कर दिए थे. इसमें मूल 1.55 करोड़ और ब्याज राशि सम्मिलित थे. किंतु सॉफ्टेक इंजीनियर्स ने इस आदेश का अनुपालन नहीं किया. निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी सॉफ्टेक की ओर से भुगतान नहीं किए जाने के बाद जिला प्रशासन पुणे ने आरआरसी के आदेश और भोपाल कलेक्टर की अनुशंसा के बाद सॉफ्टेक इंजीनियर्स लि. के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और 7 दिनों में भुगतान करने का नोटिस दिया है. भारत में भुगतान अटकने के कारण हजारों एमएसएमई का भविष्य अटक गया है. एमएसएमई के भुगतान रोकने के मामले में सरकारी और निजी संस्थाएं दोनों ही समान रूप से कसूरवार हैं.

भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एमएसएमई का आधार है. देश में करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई काम कर रहे हैं. ये लघु और मध्यम इकाइयां मिलकर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 प्रतिशत और निर्यात में 50 प्रतिशत का योगदान करती हैं. माना जाता है कि एक एमएसएमई कम से कम 10-15 लोगों को रोजगार देता ही है. देश में अधिकांश रोजगार भी एमएसएमई क्षेत्र से आता है. केंद्र सरकार ने एमएसएमई के महत्व को देखते हुए ही इसके भुगतान की समस्याओं को सुलझाने के उपाय किए हैं, क्योंकि एमएसएमई की सबसे बड़ी बाधा उसे समय पर भुगतान नहीं मिल पाना है. कार्यशील पूंजी कम हो जाने के कारण ऐसी एमएसएमई का भविष्य ही दांव पर लग जाता है. ग्लोबल एलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप (GAME) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एमएसएमई का करीब 10.7 लाख करोड़ रुपए भुगतान नहीं होने के कारण अटका है. यह भुगतान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, सरकारी विभागों और बड़े कॉर्पोरेट के पास फंसा है.एमएसएमई की भुगतान की समस्या खत्म करने के लिए सरकार ने एमएसएमईडी अधिनियम 2006 और एमएसएमई समाधान पोर्टल भी शुरू किए हैं, लेकिन अब भी इस समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया है.

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