Pune News: शोक में भी जारी रहा टाटा मोटर्स का कामकाज, रतन टाटा ने कहा था- मेरे जाने के बाद भी काम रुकना नहीं चाहिए
- ट्रेड यूनियन का करते थे बहुत सम्मान
- भारत रत्न दिया जाना चाहिए
- अनाथ महसूस कर रहे
Pune News : (पिंपरी चिंचवड़). भारतीय उद्योग क्षेत्र चमकता सितारा, दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का बीती रात निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पूरी दुनिया में शोक व्यक्त किया जा रहा है। इस शोक के बावजूद पिंपरी चिंचवड़ में टाटा मोटर्स कंपनी के प्लांट में गुरुवार को भी काम जारी रहा। असल में खुद रतन टाटा ने कर्मचारियों से कहा था कि मेरे जाने के बाद भी कंपनी का कामकाज नहीं रुकना चाहिए, किसी भी सूरत में कर्मचारियों का नुकसान नहीं होना चाहिए। खुद को अनाथ बताकर कंपनी के गमगीन कर्मचारियों ने संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में रतन टाटा से जुड़ी यादें साझा कीं।
भारत रत्न दिया जाना चाहिए
मीडिया से बात करते हुए टाटा उद्योग समूह की कंपनियों के कर्मचारियों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं और काम जारी रखने के पीछे की वजह बताई। टाटा मोटर्स के पिंपरी चिंचवड़ के प्लांट में काम बंद नहीं किया गया। यहां आम दिनों की तरह हजारों कर्मचारी काम करते रहे। कर्मचारियों ने बताया कि रतन टाटा जी के निर्देशों के अनुसार हम काम कर रहे हैं। इसी वजह से प्लांट में कामकाज जारी रहा। यह बताते हुए कर्मचारी अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक सके।
पिंपरी चिंचवड़ शहर में टाटा मोटर्स इकाई के कर्मचारियों ने मांग की है कि उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न पुरस्कार मिलना चाहिए। कर्मचारियों ने बताया कि रतन टाटा ने पिंपरी चिंचवड़ के टाटा मोटर्स प्लांट में अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी।
अनाथ महसूस कर रहे
इस आखिरी दिन उन्होंने कर्मचारियों के साथ भोजन किया था। वे हमेशा पिंपरी चिंचवड़ आते थे, वे यहां हर कर्मचारी से मिलते थे और उनसे बात करते थे। आज हमारे लिए बहुत दुखद दिन है। हमने कभी इस दिन के बारे में नहीं सोचा था। आज हमें ऐसा लग रहा है जैसे हमारे पिता, हमारा बड़ा भाई हमें छोड़कर चला गया हो। हम अपने आपको अनाथ महसूस कर रहे हैं।
ट्रेड यूनियन का करते थे बहुत सम्मान
टाटा मोटर्स के कई प्लांट हैं, लेकिन पुणे यानी पिंपरी चिंचवड़ के प्लांट की एक अलग पहचान थी। रतन टाटा जब भी यहां आते थे तो यहां के कर्मचारियों और यूनियन से जरूर मिलते थे। वह कर्मचारियों और ट्रेड यूनियन का बहुत सम्मान करते थे। हम 2017 में रतन टाटा से मिले थे जब टाटा मोटर्स में यूनियन और प्रबंधन के बीच टकराव चल रहा था। हमारी आधे घंटे तक चर्चा हुई। उन्होंने हमसे कहा कि चिंता मत करो, तुम जो चाहोगे वही होगा। उन्होंने हर बार अपनी बात पूरी की। यूनियन भी कभी टाटा साहब की बात से परे कोई निर्णय नहीं लिया। हम उनकी विरासत को जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कोविड के दौरान जो किया उसे हम कभी नहीं भूल सकते।