दावा: कोरोना की वजह से पुणे मेट्रो की लागत दो हजार करोड़ से बढ़ी
- विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन का दावा
- कोरोना की वजह से पुणे मेट्रो की लागत बढ़ी
डिजिटल डेस्क, पुणे। कोरोना संक्रमण के कारण पुणे शहर में मेट्रो के काम में देरी, परियोजना के स्थान में बदलाव और भूमि अधिग्रहण की बढ़ती लागत के कारण मेट्रो परियोजना की लागत 11 हजार 420 करोड़ से बढ़कर 13 हजार करोड़ रूपये होने का दावा विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने किया। मंगलवार को पुणे में उन्होंने कहा, कोरोना महामारी और अन्य कारणों के परिणामस्वरूप, पुणे में मेट्रो परियोजना का खर्च लगभग दो हजार करोड़ बढ़ गया है। मेट्रो की बढ़ती लागत को मंजूरी देने की प्रक्रिया चल रही है, यह जानकारी भी उन्होंने दी।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश राज्य मंत्री ने आगे कहा, 'पुणे मेट्रो का पिंपरी चिंचवड़ से स्वारगेट चरण अगले मार्च तक पूरा हो जाएगा। वनाज से रामवाड़ी मेट्रो का काम अंतिम चरण में है। साथ ही स्वारगेट मेट्रो स्टेशन का काम भी पूरा किया जा रहा है। रूबी हॉल से रामवाड़ी तक मेट्रो का परीक्षण किया जा चुका है। इस मेट्रो प्रोजेक्ट पर 11 हजार 420 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित माना गया। हालाँकि अब इसकी कीमत बढ़कर 13 हजार करोड़ से अधिक होने की संभावना है। इसकी मंजूरी प्रक्रिया अभी चल रही है। मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने के कारण लागत में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी पर अभी फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य और केंद्र इस संबंध में निर्णय लेंगे।
पुणे में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन की अध्यक्षता में जिला विकास समन्वय एवं नियंत्रण समिति (दिशा) की बैठक हुई, जिसके बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपरोक्त जानकारी दी। बैठक में पुणे के जिलाधिकारी डाॅ. राजेश देशमुख, विधायक भीमराव तपकीर, संजय जगताप, रविद्र धंगेकर, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश चव्हाण आदि उपस्थित थे। इस मौके पर 17 विभागों की 41 योजनाओं की समीक्षा की गयी। इस दौरान मुरलीधरन ने पुणे में विभिन्न बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने विश्वास जताया कि पुणे में बुनियादी ढांचे के विकास को देखते हुए यह देश के लिए एक मॉडल होगा। पुणे-मिरज रेलवे, पालखी राजमार्ग, अमृत योजना, स्मार्ट सिटी कार्य की प्रगति संतोषजनक है। इसके अलावा, विभिन्न विकास योजनाओं की प्रगति सराहनीय है। लोहगांव हवाई अड्डे का विस्तार कार्य पूरा हो चुका है और इसका उद्घाटन जल्द ही किया जाएगा, यह भी मुरलीधरन ने बताया।
बहरहाल करीब डेढ़ साल बाद दिशा समिति की बैठक पुणे में हो रही है। इसमें राज्य और केंद्र सरकार की परियोजनाओं की समीक्षा की जाती है और काम की बाधाओं और प्रगति को जाना जाता है। इस बैठक में पुणे के सभी सांसदों, विधायकों को शामिल होना जरूरी था। मगर जिले के 21 विधायकों में से सिर्फ कांग्रेस के दो और भाजपा का एक कुल तीन विधायक ही मौजूद थे। बैठक में पुणे शहर से एक भी सांसद मौजूद नहीं था, इस बारे में पूछने पर मुरलीधरन ने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने जवाब दिया कि सभी जन प्रतिनिधियों की सहूलियत और समय के अनुसार बैठक नहीं हो सकती। शहर और जिले में विभिन्न परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण थी, लेकिन सभी दलों के जन प्रतिनिधियों के इससे मुंह मोड़ लेने से चर्चा गर्म हो गयी।