विवादित बयान पर मांगी माफी: धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री संत तुकाराम महाराज के चरणों में लीन, कहा - अपमान का नहीं था इरादा

  • विवादित बयान पर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने मांगी माफी
  • संत तुकाराम महाराज के चरणों में वंदन
  • अपमान का इरादा नहीं था

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-22 13:02 GMT

डिजिटल डेस्क, पुणे। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने महान संत तुकाराम महाराज के खिलाफ विवादित बयान दिया था, जिसके बाद देहू संस्थान समेत कई संगठन आक्रामक हो गए। अपनी गलती की माफी मागने धीरेंद्र शास्त्री ने बुधवार को देहुगांव जाकर संत तुकाराम महाराज मंदिर के दर्शन किए। विवादित बयान को लेकर दोबारा माफ़ी मांगते हुए शास्त्री ने कहा कि तब मैंने एक लेख पढ़ा था और उस लेख के आधार पर मैंने उस भाषा में बात की थी। उससे पहले भी मैं महाराष्ट्र आया था. तो मैं संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर के बारे में जानता हूं। मैं उनके बारे में जितना पढ़ सकता था, पढ़ा। मैंने कभी किसी संत के बारे में ऐसा नहीं कहा। मेरा इरादा किसी का अपमान करना या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।

अपने संबोधन में बोलते समय मैं स्थानीय भाषा से प्रभावित था। चीनी को कोई कहता है चीनी, कोई कहता है शुगर। इसलिए मैंने निश्चित रूप से स्वीकार किया कि मेरे शब्दों से वारकरी संप्रदाय और संत तुकाराम महाराज के भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। अगर मेरे भाषण में कोई गलती थी, तो मैंने इसे स्वीकार किया और इसे ठीक किया। मैंने संत तुकाराम महाराज की शिला के दर्शन किए। उन्होंने अपना अभंग इंद्रायणी नदी में छोड़ दिए थे। हालांकि, संत तुकाराम की तपस्या के कारण वे अभंग नदी में नहीं डूबे। उन्होंने पानी को छुआ तक नहीं और पानी पर तैरते रहे। यही संतों की परंपरा है। हमारे भारत देश में संतों की बड़ी परंपरा है, उसी परंपरा को आगे बढ़ाने पर ही छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों के हिंदू राष्ट्र का निर्माण जल्द हो सकेगा।

बागेश्वर महाराज ने आगे कहा, मैं आचार्य परंपरा का अनुयायी हूं। ऐसा व्यक्ति किसी भी संत का विरोध नहीं करेगा। साथ ही ऐसा विरोधी संतों का अनुयायी नहीं हो सकता। मैं यह संकल्प लेकर निकला हूं कि भारत हिंदू राष्ट्र बने। अतः यदि मैं संतों की प्रशंसा करने के स्थान पर विरोध करूंगा, तो पश्चिम की संस्कृति इस योजना को निगल जाएगी। इसलिए मैंने पूरे वारकरी समुदाय के सामने हाथ जोड़कर खेद व्यक्त किया। संत तुकाराम महाराज के चरणों में मैंने यह प्रार्थना की है कि भारत हिंदू राष्ट्र बने, यह भी उन्होंने कहा। ज्ञात रहे कि इससे पहले पुणे के कार्यक्रम में भी बागेश्वर शास्त्री ने संत तुकाराम महाराज को लेकर दिए गए बयान पर माफ़ी मांग ली थी। इसके बाद आज देहू में संत तुकाराम महाराज मंदिर में जाकर उनके दर्शन लिए और दोबारा माफ़ी मांगकर इस पुरे विवाद पर पर्दा डालने की कोशिश की।

इस बीच संस्थान ने भी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को माफ कर दिया और कहा कि क्षमा की शिक्षा संत जगद्गुरु तुकोबारया की है। संस्थान के ट्रस्टी नितिन मोरे महाराज ने कहा, बागेश्वर महाराज के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने उसी दिन माफी मांग ली, जिस दिन उन्होंने बयान दिया था। वारकरी संप्रदाय ने प्रत्येक मनुष्य को जीवित रहने का पाठ पढ़ाया है। वारकरी संप्रदाय को शांति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

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