एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर पीड़ित ने लगाए गंभीर आरोप
महीनों से परेशान अस्पताल के इलाज का भुगतान पाने बीमित एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर पीड़ित ने लगाए गंभीर आरोप
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा कंपनी के एजेंट व ब्रांच के अधिकारी नियम व गाइडलाइन से पॉलिसी खरीदने वालों को अवगत नहीं कराते हैं। यहाँ तक कि किसी तरह की नियमावली की छायाप्रति भी नहीं देते हैं। बीमा करने के बाद जो फोल्डर देते हैं उसमें अंग्रेजी में छोटे शब्दों में लिखा होता है, जो अधिकांश लोगों को समझ में नहीं आता है। जब बीमित को पॉलिसी का लाभ लेना होता है तब अनेक प्रकार के नियम उनके सामने रख दिए जाते हैं। अस्पताल में कैशलेस से मना कर दिया जाता है और बिल सबमिट होने के उपरांत अनेक क्वेरी निकाली जाती हैं। क्वेरी निकालने के बाद बीमा कंपनी के द्वारा क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाता है या फिर 30 प्रतिशत भुगतान कर मामले इतिश्री करने का खेल जारी है। पॉलिसीधारक जब जवाब माँगता है तो बीमा कंपनी के क्लेम डिपार्टमेंट के जिम्मेदार अपने हाथ खड़े कर लेते हैं और किसी तरह का जवाब नहीं देते हैं, ऐसी स्थिति में बीमित अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए कंज्यूमर कोर्ट और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का दरवाजा खटखटा रहे हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
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सारे बिल भेजने के बाद भी भटकाया जा रहा पॉलिसीधारक को
छतरपुर गुलगंज निवासी देवेन्द्र कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि सड़क हादसे में घायल होने के कारण निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा था। वहाँ पर एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा कैशलेस नहीं किया गया। इलाज के बाद जब बीमा कंपनी में बिल सबमिट किया गया तो बीमा अधिकारियों ने अनेेक क्वेरी निकाली और महीनों से बीमा राशि के लिए चक्कर लगवाया जा रहा है। पीड़ित का आरोप है कि बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज भेजने के बाद भी सारे दस्तावेज नहीं मिलने का हवाला दिया जाता है। पॉलिसी क्रमांक 0000000027024871 का कैशलेस कार्ड भी मिला था, पर वह कार्ड भी नाम का निकला। बीमित का कहना है कि उसेे लगातार परेशान किया जा रहा है और बीमा कंपनी के अधिकारी सही जवाब भी नहीं दे रहे हैं, वहीं बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि केस का परीक्षण करने के बाद दो सप्ताह के अंदर पॉलिसीधारक का क्लेम सेटल करा दिया जाएगा। उनके खाते में राशि बीमा कंपनी के द्वारा ट्रांसफर की जाएगी।