केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अमर शहीद राजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथशाह के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
गुमनाम आजादी के सिपाहियों को युवा पीढ़ी के सामने लाने का काम प्रधानमंत्री ने किया है केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अमर शहीद राजा शंकरशाह व कुंवर रघुनाथशाह के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
डिजिटल डेस्क जबलपुर । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने जनजातीय नायक अमर शहीद राजा शंकरशाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर यहां आज कहा कि प्रधानमंत्री ने शहीदों को सामने लाने का काम किया है । आजादी के अमृत महोत्सव भारत को विश्व मे सिरमौर बनाने का संकल्प लेने का महोत्सव है । गुमनाम आजादी के सिपाहियों को युवा पीढ़ी के सामने लाने का काम प्रधानमंत्री ने किया है । आजादी की लड़ाई में जितने जनजातीय जननायकों ने जो बलिदान दिये है वो किसी ने नही दिए । क्रांति की मशाल को जलाकर स्वतंत्रता की नींव रखी जनजातीय नायकों ने । 200 करोड़ की लागत से 9 संग्रहलयो का निर्माण किया जाएगा । जनजाति कल्याण के लिए पहले 21 हजार करोड़ फंड था मोदी जी ने इसे बढ़ा कर 71 हजार करोड़ किया केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आजादी के अमृत महोत्सव पर देश और धर्म की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले जनजातीय नायक अमर शहीद राजा शंकरशाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के 164वें बलिदान दिवस पर आज मालगोदाम चौक पहुंचकर पिता-पुत्र की यहां स्थापित प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शाह के प्रतिमा स्थल पहुंचने पर विधायक श्रीमती नंदनी मरावी और राज्यसभा सांसद श्रीमती संपतिया उइके ने परंपरागत आरती कर रोली का टीका लगाया और शॉल पहनाया। श्री शाह को मुख्यमंत्री श्री चौहान और केन्द्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री कुलस्ते ने स्वाधीनता आंदोलन के नायक राजा शंकरशाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह की मंडला जिला स्थित पवित्र जन्मस्थली और रामनगर मंडला में स्थापित गोंडवाना साम्राज्य के राजस्तंभ का चित्र भेंट किया। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के अंतर्गत केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शाह और मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गोंडवाना साम्राज्य के राजा शंकरशाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह की बलिदान गाथा का स्मरण किया। गोंडवाना साम्राज्य के राज परिवार को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारत के रजवाड़ों में प्रथम बलिदानी होने का गौरव हासिल है, जिन्हें तोप के मुंह से बांधकर मृत्यु दी गई।