आवागमन में बदल रहा बाघों का मिजाज, नए रास्तों का कर रहे चुनाव
शहडोल आवागमन में बदल रहा बाघों का मिजाज, नए रास्तों का कर रहे चुनाव
डिजिटल डेस्क, शहडोल।बदलते समय के साथ आवागमन में अब बाघों का भी मिजाज बदल रहा है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए बाघ नए रास्तों का चुनाव कर रहे हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एक बाघ की तरह ही छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक बाघ के दिखने का सामने आया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि बाघ बांधवगढ़ का ही है। इस बारे में वन विभाग के अधिकारी और जानकारी जुटाने की बात कह रहे हैं। खासबात यह है मध्यप्रदेश और पड़ोसी राÓयों में एक जंगल से दूसरे जंगल के बीच बाघों के आवागमन के अध्ययन के आधार पर वन विभाग ने सर्वाधिक कनेक्टिविटी और कम कनेक्टिविटी का क्षेत्र चिन्हित किया है। ताज्जुब की बात यह है कि अध्ययन में बांधवगढ़ से अचानकमार बेहद कम कनेक्टिविटी मार्ग में शामिल हैं। इसके बाद भी बाघ आवागमन इस मार्ग का चयन कर रहे हैं तो यह बात चौकाने वाली है।
बाघों के आवागमन के आधार पर वन विभाग द्वारा तैयार नक्शा। इसमें लाल निशान का क्षेत्र बाघों के सर्वाधिक कनेक्टिविटी का मार्ग है। वन विभाग की कोशिश है कि ऐसे स्थान पर टाइगर कॉरीडोर विकसित कर ऐसा माहौल तैयार किया जाए कि बाघों के अवागमन के रास्ते में पडऩे वाले नेशनल हॉइवे व रेलमार्ग पर भी बाधाएं नहीं आए।
बाघ गणना में मिले हैं पगमार्क
कुछ माह पहले बाघ गणना के दौरान वनकर्मियों को शहडोल से लगे घुनघुटी, मालाचुआ में बाघ के पगमार्क मिले हैं। बांधवगढ़ से अचानकमार के बीच बाघों के आवागमन को इस बात से भी बल मिलता है।
इस बारे में एपीसीसीएफ वाइल्डलाइफ भोपाल शुभरंजन सेन का कहना है कि प्रारंभिक तस्वीरों में मिलान के साथ ही इस बारे में और जानकारी जुटाएंगे। बांधवगढ़ के बाघ अगर अचानकमार तक विचरण करते हैं तो यह अ"छी बात है। कोशिश होगी आवागमन सुरक्षित रहे।