भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) अधिनियम, 2016 में संशोधन को अधिसूचित किया!
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) अधिनियम, 2016 में संशोधन को अधिसूचित किया!
डिजिटल डेस्क | कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) अधिनियम, 2016 में संशोधन को अधिसूचित किया| भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने 14 जुलाई, 2021 को भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2016 को अधिसूचित किया। संशोधित अधिनियम से दिवाला कार्यवाही में अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी: क. कॉरपोरेट देनदार (सीडी) दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से पहले अपना नाम अथवा पंजीकृत कार्यालय का पता बदल सकता है।
ऐसे मामलों में हितधारकों को नए नाम या पंजीकृत कार्यालय के पते के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई हो सकती है। परिणामस्वरूप वे सीआईआरपी में भाग लेने में विफल हो सकते हैं। इस संशोधन के तहत सीआईआरपी का संचालन करने वाले दिवाला पेशेवर (आईपी) के लिए यह आवश्यक होगा कि वे सीडी के वर्तमान नाम एवं पंजीकृत कार्यालय के पते के साथ दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से दो वर्ष पूर्व तक की अवधि में उसके नाम अथवा पंजीकृत कार्यालय के पते में हुए बदलावों का खुलासा करे और सभी संचार एवं रिकॉर्ड में उसका उल्लेख करे। ख. अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) या समाधान पेशेवर (आरपी) सीआईआरपी के संचालन में अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता करने के लिए पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं सहित किसी भी पेशेवर को नियुक्त कर सकता है।
संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया है कि आईआरपी/आरपी पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं के अलावा किसी अन्य पेशेवर को नियुक्त कर सकता है बशर्ते उन्हें लगता हो कि ऐसे पेशेवर की सेवाओं की आवश्यकता है और सीडी के पास ऐसी सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। इस प्रकार की नियुक्तियां एक उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करते हुए निष्पक्ष आधार पर की जाएंगी। शुल्क के लिए चालान पेशेवर के नाम पर बनेगा और उसके बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा। ग. आरपी यह पता लगाने के लिए बाध्य है कि क्या सीडी तरजीही लेनदेन, कम मूल्य वाले लेनदेन, जबरन उधारी लेनदेन, खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी और गलत तरीके से खरीद-फरोख्त जैसे विवादित लेनदेन से संबंधित है।
यदि ऐसा है तो वह उचित राहत की मांग के साथ एडजुकेटिंग अथॉरिटी यानी न्यायिक अधिकारी के पास आवेदन दायर करें। इससे न केवल ऐसे लेनदेन में खोए हुए मूल्य की वापसी होगी बल्कि इस प्रकार के लेनदेन को भी हतोत्साहित किया जा सकेगा ताकि सीडी पर दबाव न पड़े। इस प्रकार इससे समाधान योजना के जरिये सीडी के पुनर्गठन की संभावना बढ़ जाती है। प्रभावी निगरानी के लिए इस संशोधन के तहत आवश्यक किया गया है कि आरपी बोर्ड के इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर ही फॉर्म सीआईआरपी 8 दाखिल करे जिसमें विवादित लेनदेन के संबंध में उसकी राय और निर्धारण का विवरण होता है। आईबीबीआई ने कल जारी एक परिपत्र के जरिये सीआईआरपी 8 के प्रारूप को निर्दिष्ट किया है। इस फॉर्म को 14 जुलाई, 2021 को अथवा उसके बाद चालू या शुरू होने वाले प्रत्येक सीआईआरपी के संबंध में दाखिल करने की आवश्यकता होगी। संशोधित प्रावधान 14 जुलाई, 2021 से प्रभावी हैं।