घोटाला: फर्जी तरीके से लोन बाँटकर बैंक को लगाया 80 लाख का चूना

घोटाला: फर्जी तरीके से लोन बाँटकर बैंक को लगाया 80 लाख का चूना

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-11 16:20 GMT
घोटाला: फर्जी तरीके से लोन बाँटकर बैंक को लगाया 80 लाख का चूना



डिजिटल डेस्क जबलपुर। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 1 सैकड़ा से अधिक लोगों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लोन ले लिया। यह पूरा खेल तत्कालीन बैंक मैनेजर सहित अन्य अधिकारियों की मिलीभगत के चलते हुआ। इसका खुलासा ईओडब्ल्यू द्वारा की गई एक जांच में हुआ है। मामले में ईओडब्ल्यू ने 31 आरोपियों पर नामजद प्रकरण दर्ज किया है। फिलहाल प्रकरण विवेचना में है। इसमें और भी कई नामों का खुलासा हो सकता है।
ईओडब्ल्यू से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 से वर्ष 2011 के बीच सिवनी के छपारा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मैनेजर एसके जैन तथा प्रदीप कटियार के अलावा तत्कालीन पैनल अधिवक्ता प्रमोद कुमार जैन, तत्कालीन फील्ड ऑफीसर एमके उइके, महेश प्रकाश बघेल और सीएल पटरे ने 128 लोगों को लोग आवंटित किया था। लोगों ने इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में की। जांच में राज खुला कि पूरा खेल मिलीभगत से खेला गया। यह लोन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दे दिया गया। इस दौरान लोन लेने वालों ने खसरे में हेरफेर कर अपनी जमीन को अधिक बताया था और उनके माध्यम से ही बैंक ने उन्हें पात्रता से अधिक लोन भी दे दिया। बैंक ने कुल 128 हितग्राहियों को नियमों के विरुद्ध जाकर 78 लाख 59 हजार 978 रुपए का ऋण बांटा। इस मामले में अन्य शेष लोगों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
वर्ष 2012 में खुली फर्जीवाड़े की पोल-
जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में बैंक के आला-अधिकारियों को इसकी भनक लग गई। इसके बाद बैंक ने जाँच की तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया। इसके बाद बैंक ने छपारा थाने समेत सिवनी के पुलिस अधिकारियों को भी शिकायत सौंपी ताकि मामले में एफआईआर की जा सके, लेकिन सिवनी पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की थी।
वर्ष 2019 में ईओडब्ल्यू से हुई शिकायत-
सात साल तक जब एफआईआर नहीं हुई, तो बैंक ने मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू से की। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक तौर पर 25 हितग्राहियों के दस्तावेजों की जाँच की तो बैंक की शिकायत सही निकली। जिसके बाद ईओडब्ल्यू ने छपारा स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मैनेजर एसके जैन तथा प्रदीप कटियार, तत्कालीन पैनल अधिवक्ता प्रमोद कुमार जैन, तत्कालीन फील्ड ऑफीसर एमके उइके, महेश प्रकाश बघेल और सीएल पटरे समेत 31 नामजद व अन्य 97 आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

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