प्रकाशन प्रभाग ने प्रसिद्ध योग विशेषज्ञ धर्मवीर सिंह महीदा की पुस्तक ‘योग सचित्र’ का संशोधित संस्करण प्रकाशित किया!
प्रकाशन प्रभाग ने प्रसिद्ध योग विशेषज्ञ धर्मवीर सिंह महीदा की पुस्तक ‘योग सचित्र’ का संशोधित संस्करण प्रकाशित किया!
डिजिटल डेस्क | सूचना और प्रसारण मंत्रालय प्रकाशन प्रभाग ने प्रसिद्ध योग विशेषज्ञ धर्मवीर सिंह महीदा की पुस्तक ‘योग सचित्र’ का संशोधित संस्करण प्रकाशित किया| योग एक प्राचीन शारीरिक अभ्यास के साथ-साथ मानसिक एवं आध्यात्मिक अभ्यास भी है। और कोरोना वायरस के नित बदलते स्वरूप से जूझ रही दुनिया में योग स्वयं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूरी तरह फिट रखने के लिए एक प्रभावशाली साधन या उपाय के रूप में उभर कर सामने आया है। ‘योग सचित्र’ पुस्तक के पहली बार प्रकाशित होने के छब्बीस साल के लंबे अंतराल के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग निदेशालय ने सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इस पुस्तक के संशोधित संस्करण को पुनः प्रकाशित किया है।
प्रसिद्ध योग विशेषज्ञ धर्मवीर सिंह महीदा की इस सचित्र पुस्तक, जो हिंदी में है, में योग के आठ अंगों यथा यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि को बड़ी खूबसूरती से समाहित किया गया है और इसके साथ ही विभिन्न योगासन पर विशेष रूप से फोकस किया गया है। ‘योग सचित्र’ में कई आसनों का उल्लेख किया गया है और उनकी विशिष्ट तकनीक के साथ-साथ सचित्र विस्तार से बताया गया है। इस पुस्तक में प्रत्येक संबंधित चरण और अलग-अलग आसनों की बारीकियों को इस तरह से प्रस्तुत किया गया है जिससे कि पहली बार योग करने वालों यानी नौसिखिया के साथ-साथ प्रोफेशनलों के लिए भी यह समान रूप से उपयोगी साबित हो सके।
इस पुस्तक के लेखक, जो पिछले कई दशकों से योग और इसके आसनों को सिखा रहे हैं, ने इन आसनों को एक व्यापक और क्रमबद्ध रूप से पेश किया है, ताकि पाठकगण सबसे सरल आसनों से शुरुआत करने के बाद धीरे-धीरे निरंतर अभ्यास करते हुए जटिल आसनों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित हो सकें। इस पुस्तक में साप्ताहिक योजनाएं भी प्रस्तुत की गई हैं जिनमें लेखक ने सप्ताह के प्रत्येक दिन के लिए आसन के विशिष्ट प्रकार और उसके अभ्यास की अवधि का उल्लेख किया है। इस पुस्तक का मुख्य आकर्षण महीदा की अभिनव पद्धति है जिसके तहत उन्होंने घर पर उपलब्ध विभिन्न वस्तुओं जैसे कि कुर्सियों, मेजों, कंबलों, कुशनों/तकियों, बिस्तरों और दीवारों का उपयोग एक सटीक सहारा के रूप में करने के बारे में बताया है, ताकि बुजुर्ग व्यक्ति या कोई नौसिखिया, या कम लचीले शरीर वाले व्यक्ति भी इस तरह के विशिष्ट अभ्यास से लाभ उठा सकें। लेखक ने विभिन्न आसनों के माध्यम से पाठकों का मार्गदर्शन किया है जिससे वे समग्र कल्याण के लिए योग का उपयोग निवारक और उपचारात्मक साधन या उपाय दोनों ही के रूप में कर सकते हैं।