कोरोना से मौत हो चुकी पॉलिसीधारक की, पर नहीं किया भुगतान

पीएमजेजेबीवाई के नाम से प्रतिवर्ष कट रही प्रीमियम राशि कोरोना से मौत हो चुकी पॉलिसीधारक की, पर नहीं किया भुगतान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-28 11:24 GMT
कोरोना से मौत हो चुकी पॉलिसीधारक की, पर नहीं किया भुगतान

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा कंपनियों को क्लेम न देना पड़े इसके लिए कई तरीके से पॉलिसीधारक को परेशान करने में लगी हैं। कैशलेस न करना पड़े इसके लिए अनेक तोड़ बीमा कंपनियाँ निकालकर पॉलिसीधारक से ही अस्पताल व दवाइयों का बिल जमा करवा दिया जाता है और आश्वासन देती हैं कि बिल सबमिट करने पर हम आपको भुगतान कर देंगे। जब पॉलिसीधारक बिल सबमिट करते हैं तो बीमा कंपनियाँ कई तरह की क्वेरी बीमित के पास भेज देती हैं।

पॉलिसीधारक सारे दस्तावेज दोबारा उपलब्ध कराता है और जल्द क्लेम का दावा बीमा कंपनी से करता है। बीमित व्यक्ति टोल फ्री नंबर के अलावा लोकल ब्रांच में संपर्क कर जल्द क्लेम पास कराने की बात करता है, पर उसे किसी तरह का सही जवाब नहीं मिलता है। अचानक बीमा कंपनी नो क्लेम का लैटर भेज देती है और उसमें एडवाइज भी जारी कर देती है कि आपको घर पर ही रहकर इलाज कराना था, अस्पताल में भर्ती होने लायक नहीं थे। बीमा कंपनी के अधिकारी ही चिकित्सक बनकर नामी डॉक्टरों की रिपोर्ट काे दरकिनार करते हुए बीमित को जानबूझकर परेशान करने में लगे हुए हैं।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

दो छोटे मासूम बच्चों पर भी तरस नहीं खा रही बीमा कंपनी

बालाघाट वारासिवनी गुजरी चौक मस्जिद मेहन्दीवाड़ा निवासी कुलदीप महेरकर ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके भाई संदीप महेरकर का बैंक खाते से प्रतिवर्ष प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के नाम पर प्रीमियम जमा हो रहा था। अप्रैल 2021 में कोरोना के कारण उनकी मौत हो गई थी। संदीप की पत्नी की भी मौत हो गई और उसके दो छोटे बच्चे तनीशा 11 वर्ष व जीनल 7 वर्ष हैं। उक्त अकाउंट में नाॅमिनी में बच्चों की माँ का नाम था, पर उनके न रहने पर बच्चों के संरक्षक के रूप में दादा का नाम कराया गया और उसके बाद नियमानुसार सारे दस्तावेज जमा किए गए।

दस्तावेज जमा होने के बाद बैंक अधिकारियों ने कहा था कि जल्द ही क्लेम बीमा कंपनी के द्वारा दिलाया जाएगा, पर डेढ़ साल बाद भी बीमा कंपनी द्वारा बच्चों के संरक्षक के नाम पर राशि जारी नहीं की गई। परिजनों द्वारा लगातार बीमा कंपनी में संपर्क किया जा रहा है, पर जिम्मेदार अब तो किसी भी तरह का जवाब ही नहीं दे रहे हैं। परेशान होकर बीमित ने कलेक्टर के यहाँ जनसुनवाई में भी शिकायत दी, उसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई।

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