ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी ने दवाईयों के बिलो में भी कर दी कटौती।

जिम्मेदारों को कर चुके मेल फिर भी नहीं की जा रही सुनवाई ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी ने दवाईयों के बिलो में भी कर दी कटौती।

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-16 11:28 GMT
ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी ने दवाईयों के बिलो में भी कर दी कटौती।

डिजिटल डेस्क जबलपुर। हमारी कंपनी पॉलिसी जनरेट होते ही सारे लाभ देना शुरू कर देती है। अस्पताल पहुंचने पर कैशलेस कार्ड दिखाते ही पूरा फ्री इलाज मिलता हैं। 24 घंटे व सातो दिन किसी भी वक्त मेल करने पर इलाज कराने की कैशलेस स्वीकृति भी बीमा कंपनी देती है। कई तरह के दावे-वादे बीमा कंपनी के द्वारा किए जाते है, पर जब पॉलिसी धारक को सही में जरूरत होती है, तो उन्हें लाभ नही दिया जाता है। लाभ देने के नाम पर बीमित को चक्कर कटवाए जाते है। ऐसी स्थिति में बीमा कराने वाले आम लोग पॉलिसी होने के बाद कैशलेस इलाज नही करा पा रहे है। वही मेल करने पर जिम्मेदार अपने ही ग्राहको का जवाब नही दे रहे है, और पॉलिसी धारक दर-दर भटकने मजबूर हो चुका है। बीमा कंपनी के सभी जिम्मेदारो को मेल करने के बाद भी राहत नही दी जा रही है। और अब परेशान होकर पॉलिसी धारक कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है। 

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है, तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर-9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

टीपीए कंपनी के अधिकारी खामियां निकालकर भुगतान से कर रहे इंकार- 

मदनमहल एकता विहार निवासी नीलेश प्रसाद ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ पॉलिसी ले रखी है। पॉलिसी का वे प्रतिवर्ष प्रीमियम भी जमा करते आ रहे है। उनकी बेटी के पेट में दर्द होने पर चैकअप कराया तो चिकित्सको ने आपरेशन की सलाह दी थी। उन्होने बेटी का निजी अस्पताल में इलाज कराया। अस्पताल में उन्होंने ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी का कैशलेस कार्ड दिया तो बीमा अधिकारियों ने टीपीए कंपनी की सलाह के बाद कैशलेस से इंकार कर दिया। वर्ष 2021 में उन्होनें बकायदा इलाज कराने के बाद सारा भुगतान अपने पास से अस्पताल में भुगतान कर दिया। भुगतान के सारे बिल व चिकित्सको तथा दवाईयों के बिल बीमा कंपनी में सम्मेट किए तो रक्षा टीपीए के अधिकारियो ने उन बिलो में अनेक तरह की गलतियां निकाली। बीमित ने अस्पताल से संपर्क करते हुए सारे बिलो को सत्यापित कराया तो बीमा कंपनी में जमा किए तो बीमा अधिकारियों ने जल्द पूरा भुगतान करने का दावा किया पर उक्त बिलो में डॉक्टर की फीस, दवाईयों के बिल अलग कर दिया गया और 10 प्रतिशत ही बिल का भुगतान करते हुए पूरे मामले की इतिश्री कर दी गई। परेशान होकर बीमित ने बीमा कंपनी में अपील की पर अधिकारियों ने महीनों बाद भी कोई जवाब नही दिया। पीड़ित का आरोप है, कि रक्षा टीपीए के अधिकारी ही गोलमाल करते हुए पॉलिसी धारकों के साथ धोखा करने में जुटी है। वहीं अधिकारियों से संपर्क किया तो उनका कहना है, कि परीक्षण करने के बाद ही नियमानुसार भुगतान कराया जाएगा।
 

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