ऑनलाइन- ऑफलाइन कर भुगतान करने के बाद भी मनपा रिकॉर्ड में एंट्री नहीं
नागपुर ऑनलाइन- ऑफलाइन कर भुगतान करने के बाद भी मनपा रिकॉर्ड में एंट्री नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. मनपा को हाल ही में जीओ सिविक संपत्ति कर व्यवस्थापन प्रणाली के लिए राजीव गांधी प्रशासकीय गतिमानता का राज्य सरकार का प्रथम पुरस्कार मिला है। इस पुरस्कार से मनपा के सीने पर और एक तमगा जुड़ गया है, हालांकि संपत्ति कर से जुड़े जो मामले सामने आ रहे हैं, वे प्रशासकीय गतिमानता और व्यवस्थापन प्रणाली पर ही प्रश्नचिह्न खड़े कर रहे हैं। कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें मनपा को ऑन काउंटर (ऑफलाइन) संपत्ति कर भुगतान किया गया है, लेकिन मनपा रिकॉर्ड में इसकी एंट्री नहीं है। ऑनलाइन भुगतान में भी यही मामला है। ऑनलाइन भुगतान करने पर संबंधित बकायादार को ऑनलाइन रसीद भी मिली, किन्तु मनपा रिकॉर्ड में इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। ऐसे में कर धारकों के साथ बड़ा फर्जीवाड़ा होने का मामला सामने आ रहा है।
कई अकाउंट मनपा में नहीं मिल रही, भुगतान करने वाले हैरान
ताजा मामला जरीपटका निवासी शंकर गुलानी का है। उनका संपत्ति कर को लेकर मनपा से विवाद चल रहा है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है, फिर भी बकाया भुगतान दिखाने के लिए वे बीच-बीच में संपत्ति कर का बकाया भुगतान करते रहते हैं। गुलानी ने अपनी संपत्ति के बकाया का अलग-अलग चरणों में 9 बार कर भुगतान किया है, लेकिन मनपा रिकॉर्ड में सिर्फ एक बार कर भुगतान का उल्लेख है। जब गुलानी ने संपूर्ण कागजातों के साथ अपना पक्ष मनपा के सामने रखा, तो मनपा ने लिखित में अपनी गलती मान्य की है। मंगलवारी जोन ने 1 फरवरी 2023 को दिए एक आदेश में मान्य करते हुए कहा कि घर मालिक ने रसीद अनुसार भुगतान की गई रकम सिस्टम में पोस्टिंग करने के लिए उक्त 8 रसीदें जोड़ी जा रही हैं।
सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी : एक अन्य मामला भी जरीपटका के कमल फूल चौक के राजीव भागचंदानी का है। शास्ती और जुर्माने से बचने भागचंदानी हर वर्ष समय पर ऑनलाइन अपना कर भुगतान करते हैं। उन्होंने 12 नवंबर 2022 को 6161 रुपए ऑनलाइन कर का भुगतान किया था। इस भुगतान की उन्हें ऑनलाइन रसीद भी प्राप्त हुई, लेकिन मनपा रिकॉर्ड में भुगतान का कोई ब्योरा नहीं है। वे इस शिकायत को लेकर मनपा आयुक्त तक गए। मनपा आयुक्त के निर्देश पर प्रशासन ने जब इसकी जांच की, तो पता चला कि ऑनलाइन कर भुगतान करने वाले सॉफ्टवेयर में ही गड़बड़ी है, जिस कारण ऑनलाइन पेमेंट तो कट रहा है, लेकिन वह मनपा में जमा नहीं हो रहा है। कुछ और भी मामले हैं, जिनके साथ इस तरह की घटनाएं हुई हैं। हालांकि कई ऐसे भी लोग हैं, जो एक बार ऑनलाइन या ऑफलाइन कर भुगतान करने के बाद उसकी छानबीन नहीं करते, जिससे उनका भी रिकॉर्ड मनपा में सही-सलामत है या नहीं? इसे लेकर मनपा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
इनका भी रिकॉर्ड नहीं : वार्ड क्र. 57 की सीमा तोतलानी ने 12101 रुपए कर भुगतान किया था। इनकी भी एंट्री नहीं मिल रही है। इसी वार्ड के वासंती पंजवानी और राजकुमार केवलरामानी का भी इसी तरह का मामला है। पंजवानी ने 8628 रुपए और 29838 रुपए टैक्स भरा था। इसका भी रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है।
मनपा को लगाई फटकार : नियमानुसार मनपा के कर धारकों का 20 साल का रिकॉर्ड होना चाहिए। एक खुलासे में पता चला कि 2013 के पहले के किसी भी कर धारक का रिकॉर्ड मनपा में उपलब्ध नहीं है। 2015 के बाद रिकार्ड को दुरुस्त करने की जानकारी है, जिससे मनपा रिकॉर्ड से अनेक करदाताओं का लेखा-जोखा नदारद होने की जानकारी है। इसे लेकर राज्य सूचना आयुक्त राहुल पांडे ने मनपा को फटकार भी लगाई है और कई सवाल खड़े किए हैं। इस तरह की एक धोखाधड़ी के मामले में पांचपावली पुलिस में मामला भी दर्ज हुआ है, जिसकी जांच चल रही है।
खाते में जमा रकम मान्य की है
मिलिंद मेश्राम, उपायुक्त, राजस्व विभाग, मनपा के मुताबिक शंकर गुलानी ने साल 1998-1999 में मैन्यूअल टैक्स भरा। उस समय मनपा का ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम नहीं था। जिन रसीदों की रकम मनपा के खाते में जमा हुई, उसे ग्राह्य माना जाएगा। राजीव भागचंदानी ने ऑनलाइन पेमेंट किया, लेकिन उनके बैंक खाते से मनपा के बैंक खाते में रकम जमा नहीं हुई। यह बात उन्हें समझाई गई और उनकी रसीद को रद्द कर दिया गया है। अन्य मामले भी मिलते-जुलते हैं।