अजय सिंह राहुल के संकल्प से आयोजित श्री रूद्र महायज्ञ एवं श्री शिव महापुराण पांचवा दिवस

मध्य प्रदेश अजय सिंह राहुल के संकल्प से आयोजित श्री रूद्र महायज्ञ एवं श्री शिव महापुराण पांचवा दिवस

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-26 13:28 GMT
अजय सिंह राहुल के संकल्प से आयोजित श्री रूद्र महायज्ञ एवं श्री शिव महापुराण पांचवा दिवस

डिजिटल डेस्क, भोपाल। श्री शिव पुराण कथा के पांचवें दिन आचार्य विनोद बिहारी गोस्वामी जी ने पार्वती जी के जन्म से लेकर शिव पार्वती विवाह की वर्णन किया। यह कथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह के संकल्प से चुरहट के ग्राम सांडा शिवराजपुर में हो रही है।कथा के मध्य में सप्तर्षियों द्वारा माता पार्वती की ली गई परीक्षा का प्रसंग भी आया। माता पार्वती के जन्म की कथा सुनाते हुए आचार्य विनोद गोस्वामी ने बताया कि जब सती के खुद को योगाग्रि में भस्म कर लेने का समाचार शिवजी के पास पहुंचा। तब शिवजी ने वीरभद्र को भेजा। उन्होंने वहां जाकर यज्ञ विध्वंस कर डाला और सब देवताओं को यथोचित फल दिया। सती ने मरते समय शिव से यह वर मांगा कि हर जन्म में आप ही मेरे पति हों। इसी कारण उन्होंने हिमाचल के घर जाकर पार्वती का जन्म लिया।जब से पार्वती हिमाचल के घर में जन्मी तब से उनके घर में सुख और सम्पतियां छा गई। नारद जी ने कहा इसका पति नंगा, योगी, जटाधारी और सांपों को गले में धारण करने वाला होगा यह बात सुनकर पार्वती के माता-पिता चिंतित हो गए। अगर शिवजी से पार्वती का विवाह हो जाए तो ये दोष गुण के समान है हो जाएंगे माता पार्वती ने कहा मेरे दुखों का नाश करने वाले शिव ही है पार्वती तप करने चली गई।पार्वती जी ने शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या आरंभ की ताकि शिव प्रसन्न होकर उनसे विवाह कर लें।

जब सप्तर्षि पार्वती की परीक्षा लेने गए

आचार्य विनोद ने सप्त ऋषि के द्वारा माता पार्वती की ली गई परीक्षा का भी विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि सप्तर्षि ने पार्वती से जाकर पूछा तुम किस के लिए इतना कठिन तप कर रही हो तब पार्वती ने सकुचाते हुए कहा आप लोग मेरी मूर्खता को सुनकर हंसेंगें। मैं शिव को अपना पति बनाना चाहती हूं। सप्तर्षियों ने भगवान शंकर की निंदा की तब पार्वती उनकी बात सुनकर बोली कहा है कि मेरा हठ भी पर्वत के ही समान मजबूत है। मैं अपना यह जन्म शिव के लिए हार चुकी हूँ  पार्वती की यह बात सुनकर सभी ऋषि बोले आप दोनों समस्त जगत के माता-पिता है।यह कहकर सप्तर्षि पार्वती को प्रणाम करके वहां से चले गए। तदुपरांत स्वयं भगवान शिव पार्वती की परीक्षा लेने ब्रह्मचारी का वेष धारण कर पार्वती जी के पास आए और बोले तुम्हारे जैसी सुकुमारी क्या तपस्या के योग्य है?  तुम चाहो तो त्रिभुवन के स्वामी भगवान विष्णु भी तुमको प्राप्त हो जाए किंतु पार्वती ने ऐसा उपेक्षा का भाव दिखाया शिव रूपी ब्रह्मचारी पता नहीं क्या-क्या कहता रहा, किंतु अपने आराध्य की निंदा पार्वती को अच्छी नहीं लगी। अत: वे अन्यत्र जाने को उठ खड़ी हुईं। तब शिव उनकी निष्ठा देख ब्रह्मचारी रूप त्याग प्रकट हुए और उनसे विवाह का प्रस्ताव दिया। जहां दृढ़ लगन, कष्ट सहने का साहस और अटूट आत्मविश्वास हो,वहां लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है।पार्वती घर लौट आईं और अपने माता-पिता से सारा वृत्तांत कह सुनाया। अपनी दुलारी पुत्री की कठोर तपस्या को फलीभूत होता देखकर माता-पिता के आनंद का ठिकाना नहीं रहा।उधर शंकरजी ने सप्तर्षियों को विवाह का प्रस्ताव लेकर हिमालय के पास भेजा और इस प्रकार विवाह की शुभ तिथि निश्चित हुई।

शिव बारात का अद्भुत वर्णन

गोस्वामी जी ने शिव बारात प्रसंग का अद्भुत वर्णन किया और बताया की सप्तऋषि के जाने के बाद भगवान् शंकरजी ने नारदजी द्वारा सारे देवताओं को विवाह में सम्मिलित होने के लिए आदरपूर्वक निमंत्रित किया और अपने गणों को बारात की तैयारी करने का आदेश दिया। चंडीदेवी भगवान् रुद्रदेव की बहन बनकर वहाँ आ पहुँचीं। सारे देवता भी एकत्र हो गए सभी ऋषि पहुंचे इस दिव्य और विचित्र बारात के प्रस्थान के समय डमरुओं की डम-डम, शंखों के गंभीर नाद, ऋषियों-महर्षियों के मंत्रोच्चार, यक्षों, किन्नरों, गन्धर्वों के सरस गायन और देवांगनाओं के मनमोहक नृत्य और मंगल गीतों की गूँज से तीनों लोक परिव्याप्त हो उठे। हिमालय ने विवाह के लिए बड़ी धूम-धाम से तैयारियाँ कीं। पहले तो शिवजी का विकट रूप तथा उनकी भूत-प्रेतों की सेना को देखकर पार्वती की मां बहुत डर गईं और वह अपनी कन्या का पाणिग्रहण कराने में आनाकानी करने लगीं।लेकिन जब उन्होंने शंकरजी का करोड़ों कामदेवों को लजाने वाला सोलह वर्ष की अवस्था का परम लावण्यमय रूप देखा तो देह गेह की सुधि भूल गई और शंकर पर अपनी कन्या के साथ ही साथ अपनी आत्मा को भी न्योछावर कर दिया।शिव-गौरी का विवाह आनंदपूर्वक संपन्न हुआ। हिमाचल ने कन्यादान दिया। ब्रह्माजी ने वेदोक्त रीति से विवाह करवाया। पार्वती माता के जन्म से लेकर शिव विवाह की कथा ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया मगन होकर नाचने लगे उल्लास मनाने लगे।

शिवपुराण की आरती पूर्व विधायक के के सिंह भंवर साहब, पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार, विधायक बसंत सिंह,समाजसेवी कपिध्वज सिंह,पूर्व अध्यक्ष आनंद सिंह चौहान,पूर्व अध्यक्ष रूद्र प्रताप सिंह बाबा,पूर्व विधायक तिलकराज सिंह,पूर्व नपा अध्यक्ष देवेंद्र सिंह मुन्नू,नपा उपाध्यक्ष दान बहादुर सिंह,समाजसेवी धर्मेंद्र तिवारी बब्बूल,समाजसेवी भारत सिंह,संदीप उपाध्याय दादू, समाजसेवी नीरज सिंह ने की।

कथावाचक आचार्य विनोद बिहारी गोस्वामी जी का माल्यार्पण से स्वागत वरिष्ठ समाजसेवी कृष्ण माहेश्वरी पूर्व विधायक राज नारायण सिंह पूर्व विधायक नित्य निरंजन खंपरिया,विधायक नीरज विनोद दीक्षित,समाजसेवी अखंड प्रताप सिंह,पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह पूर्व विधायक ओम रघुवंशी,लक्ष्मी यादव सतना,पूर्व जनपद अध्यक्ष केडी सिंह,जिला पंचायत सदस्य श्रीमती नीलम शुक्ला,जनपद अध्यक्ष रामपुर श्रीमती उर्मिला साकेत,श्रीमती शशिकला द्विवेदी,ब्लॉक महिला अध्यक्ष श्रीमती वसुधा सिंह,श्रीमती अनीता सिंह गौड़,पत्रकार सचिंद्र मिश्रा,स्तुति मिश्रा,कनिष्क तिवारी,अखिलेश पाण्डेय,अनिल मानिकपुरी,अनिल जायसवाल ने किया।

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