नागपुर में 18000 परिवार अभी भी चूल्हे पर सेंक रहे रोटी,नहीं मिला उज्ज्वला योजना का लाभ
नागपुर में 18000 परिवार अभी भी चूल्हे पर सेंक रहे रोटी,नहीं मिला उज्ज्वला योजना का लाभ
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में 18 हजार से ज्यादा परिवारोंं के पास अभी भी गैस कनेक्शन नहीं होने की बात सामने आई है। इन लोगों ने उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया था, लेकिन इस योजना का लाभ इन लोगों को नहीं मिल सका था। राज्य सरकार ने उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिले लोगों को नियम-शर्तों के साथ "धुर मुक्त व चुल मुक्त" योजना के तहत गैस कनेक्शन देने का निर्णय लिया था, लेकिन इन्हें अभी भी गैस कनेक्शन का इंतजार है।
केंद्र सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय अभियान उज्ज्वला योजना के तहत प्राधान्य, अंत्योदय राशन कार्ड व एससी, एसटी वर्ग के ऐसे परिवार को गैस कनेक्शन देने का निर्णय लिया था, जिनके पास कनेक्शन नहीं है। नागपुर सहित देश भर में गैस कनेक्शन बांटने के लिए केंद्र ने 8 करोड़ से ज्यादा का निधि खर्च करने का लक्ष्य रखा था। शहर से 50 हजार से ज्यादा आवेदन अन्न धान्य वितरण कार्यालय पहुंचे थे।
यहां आवेदनों की जांच-पड़ताल होने के बाद इन आवेदनों को गैस एजेंसी भेजा जाता था। गैस एजेंसी इन आवेदनों का अवलोकन करती थी। जरूरी हुआ तो दस्तावेजों की पूर्तता करने को कहती थी। इसके बाद संबंधितों को गैस कनेक्शन दिया जाता था। यह कनेक्शन मुफ्त जैसा था। यानी पहले गैस कंपनी कनेक्शन का पैसा जमा करेगी आैर बाद में किस्त के रूप में संबंधित व्यक्ति से निधि वसूली जाती थी। शहर में उज्ज्वला योजना के तहत 6500 गैस कनेक्शन दिए गए थे।
यह है स्थिति
उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिला ऐसे परिवारों के लिए राज्य सरकार ने "धुर मुक्त व चुल मुक्त" योजना लाई थी। इसके लिए राज्य ने 100 करोड़ का बजट रखा था। 18 हजार से ज्यादा परिवार अभी भी इंतजार में हैं। इन्हें कनेक्शन मिलेंगे भी या नहीं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इनमें से कुछ परिवार ऐसे भी हो सकते हैं, जिन्होंने खुद अपने पैसे से गैस कनेक्शन खरीद लिया हो।
अब यह हमारा विषय नहीं
केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना थी आैर राज्य सरकार की "धुर मुक्त व चुल मुक्त" योजना थी। हमारे पास आए आवेदनों की छंटनी करने के बाद उसे गैस एजेंसी व कंपनी के पास भेज दिया गया था। उज्ज्वला योजना का टारगेट पूरा हो चुका है। बाकी बचे आवेदकांे को किस योजना से गैस कनेक्शन देना है, यह कंपनी ही बता सकेगी। अब यह हमारा विषय नहीं रहा। हमने अपना काम पूरा कर लिया है। यह नीतिगत मुद्दा होने से इस पर हम निर्णय नहीं ले सकते।
- अनिल सवई, अन्न धान्य वितरण अधिकारी, नागपुर