Nagpur News: 60.49% मतदान - पिछली बार से 3.30% ज्यादा, ग्रामीण इलाकों में दिखा उत्साह
- 23 को होगी मतगणना, 2019 के मुकाबले अधिक वोटिंग
- शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में दिखा मतदाताओं का उत्साह
- दिग्गजों की जीत-हार ईवीएम में बंद, धड़कनें बढ़ीं
Nagpur News : जिले की 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे 217 उम्मीदवारों की किस्मत बुधवार को चुनाव समाप्त होने के साथ ही ईवीएम में कैद हो गई है। 23 नवंबर की सुबह 8 बजे से जिले में अलग-अलग स्थानों पर मतगणना होगी। जिले की 12 विधानसभा सीटों पर शाम 6 बजे तक 60.49 फीसदी मतदान हुआ। विधानसभा चुनाव 2019 के मुकाबले इस बार ज्यादा वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा मतदान उमरेड में 70.02 फीसदी हुआ है। शहर की तुलना ग्रामीण में मतदाताआें का उत्साह ज्यादा दिखाई दिया। सुबह मतदान की गति धीमी रही : सभी 12 सीटों पर सुबह मतदान की गति धीमी रही। सुबह 9 बजे तक जिले में 6.86 फीसदी मतदान हुआ था। सुबह 11 बजे तक 18.90 फीसदी मतदान हुआ था। इसके बाद रफ्तार बढ़ी और दोपहर 1 बजे तक जिले में 31.65 फीसदी मतदान हुआ था। दोपहर 3 बजे तक 44.45 फीसदी मतदान हुआ था। जिला निर्वाचन कार्यालय की तरफ से शाम 6 बजे तक जो आंकड़े जारी किए गए, उसके मुताबिक जिले में 60.49 फीसदी मतदान हुआ।
शाम 6 बजे तक वोटिंग
(प्रतिशत में)
नागपुर मध्य 55.01
नागपुर पूर्व 58.70
नागपुर उत्तर 58.05
नागपुर दक्षिण 56.20
नागपुर दक्षिण पश्चिम 54.49
नागपुर पश्चिम 55.68
हिंगना 58.10
कामठी 63.05
काटोल 66.70
रामटेक 71.27
सावनेर 66.00
उमरेड 70.02
दिग्गजों की जीत-हार ईवीएम में बंद, धड़कनें बढ़ीं
बुधवार को मतदान किया गया। जिले में 217 उम्मीदवाराें की जीत-हार ईवीएम में बंद हो गई है। 23 नवंबर को परिणाम आएंगे। कुछ स्थानों पर शिकायतों को छोड़ दिया जाए, तो जिले में मतदान शांतिपूर्ण रहा। प्रमुख दलों व उम्मीदवारों का दावा कायम है कि जीत उन्हें ही मिलेगी। मतदान प्रक्रिया में विलंब को लेकर प्रशासन पर रोष भी व्यक्त किया गया।
अब परिणाम पर नजर : 2014 में जिले की 12 में से 11 सीटें भाजपा ने जीती थी। 2019 में वह 6 सीट ही जीत पाई। उसमें भी 4 सीट शहर की थी। इस बार भाजपा ने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। भाजपा शत प्रतिशत जीत का दावा कर रही है। उधर कांग्रेस ने 8 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे। 3 सीटें राकांपा शरद गुट व एक सीट शिवसेना उद्धव गुट के लिए कांग्रेस ने छोड़ी। खास बात है कि 6 में से 2 आरक्षित सीटों को छोड़े देें तो शेष 4 सीट पर कांग्रेस ने कुनबी समाज के प्रतिनिधि को ही उम्मीदवारी दी। साेशल इंजीनियरिंग के गणित को कांग्रेस और भाजपा किस तरह अपने पक्ष में भुनाएगी यह चुनाव परिणाम में ही देखने को मिल सकता है।
भाजपा ने ताकत झोंकी : लोकसभा चुनाव में विदर्भ में कांग्रेस का उत्साह बढ़ा। नागपुर जिले में भी कांग्रेस ने प्रभाव दिखाया। माना जा रहा था कि भाजपा विधानसभा चुनाव में भी कई सीटों पर पिछड़ सकती है। भाजपा ने भी इस बार चुनाव रणनीति के लिए अधिक ताकत लगाई। संघ व भाजपा के अन्य राज्यों में बड़े नेता, पदाधिकारियों को विधानसभा क्षेत्र स्तर पर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी। उम्मीदवार चयन के लिए भी काफी मशक्कत की गई। दो विधानपरिषद सदस्य का उम्मीदवार बनाया गया। दो विधायकों को उम्मीदवारी नहीं दी गई।उम्मीदवारों का जीत का दावा कायम
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के संकेत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिए हैं। दक्षिण पश्चिम नागपुर में फडणवीस को जीत के अंतर का रिकार्ड बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। देखना होगा कि कांग्रेस के प्रफुल गुडधे उन्हें कितनी चुनौती दे पाएंगे।
कामठी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को उम्मीदवारी देने के कई कारण बताए गए। बावनकुले का भी प्रयास रहेगा कि वे भाजपा को जीत के अंतर का नया रिकार्ड बनाकर दिखाएं।
कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री नितीन राऊत को उत्तर नागपुर में चुनौती देने का प्रयास भाजपा ने किया। उम्मीदवार चयन को लेकर काफी उठापटक की गई। जिले में सर्वाधिक उम्मीदवार उत्तर नागपुर में थे। ऐसे में परिणाम ही बताएगा कि राऊत का क्षेत्र में दबदबा कायम है या नहीं।
पूर्व नागपुर को भाजपा के सेफ क्षेत्र के तौर पर प्रचारित किया गया। 3 बार विधायक रहे कृष्णा खोपड़े के रिकार्ड जीत के अंतर से जीतने के दावे को राकांपा शरद गुट और निर्दलीय उम्मीदवार कितनी चुनौती दे पाए, यह देखना होगा। इस क्षेत्र में कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के बारे में सुना जाता रहा कि प्रचार में वे कम नजर आए।
लोकसभा चुनाव में नितीन गडकरी से मुकाबला कर चुके कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे पश्चिम नागपुर में चुनौतियों से घिरे दिखे। भाजपा उम्मीदवार सुधाकर कोहले समर्थकों के साथ आरंभ से ही उत्साह दिखाते रहे। निर्दलीय नरेंद्र जिचकार भी चर्चा में बने रहे।
रामटेक में पूर्व राज्यमंत्री राजेंद्र मुलक ने महायुति वर्सेस निर्दलीय मुकाबले का दावा किया। मतदान के बाद मुलक के समर्थक जीत का उत्सव मनाने की तैयारी करने लगे हैं। मुलक का दावा रहा है कि वे ही महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार थे। उनके दावे का दम भी चुनाव परिणाम के बाद तय होगा।
काटोल में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख चुनाव मैदान में नहीं थे। उनके पुत्र सलिल देशमुख काे उम्मीदवारी दी गई। प्रचार के दौरान प्रमुख उम्मीदवारों में तगड़ा मुकाबला देखा गया। सलिल पर जिम्मेदारी है कि वे पिता की विरासत को बचाएं।
सावनेर में भाजपा के आशीष देशमुख की राजनीतिक ताकत दांव पर लगी थी। जिले की राजनीति में दबदबा रखनेवाले कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सुनील केदार की पत्नी अनुजा से आशीष देशमुख का कड़ा मुकाबला हुआ।
मध्य नागपुर में विधानपरिषद सदस्य प्रवीण दटके को उम्मीदवारी देने का लाभ भाजपा को मिलेगा या नहीं यह भी तय होगा।