मुख्यमंत्री द्वारा मंच से निलंबित दो अधिकारियों को मिली अंतरिम राहत
हाई कोर्ट ने विभाग प्रमुखों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब मुख्यमंत्री द्वारा मंच से निलंबित दो अधिकारियों को मिली अंतरिम राहत
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने छिंदवाड़ा के प्रभारी सीएमएचओ डॉ. जीसी चौरसिया व सीधी के डीईओ पवन कुमार सिंह को सस्पेंड करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। दोनों मामलों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंच से निलंबित करने के आदेश दिए गए थे। सीएमएचओ के मामले में जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने लोक स्वास्थ्य विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी, आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं प्रभारी बीएमओ डॉ. एनके शास्त्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, वहीं डीईओ के मामले में शासन व स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है।
डॉ.चौरसिया की ओर से अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि स्थानीय राजनेताओं के प्रभाव और राजनीतिक फायदा लेने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने 22 सितंबर 2022 को एक आमसभा को संबोधित करते समय सीएमएचओ को हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद अगले दिन डॉ. चौरसिया को प्रभार से हटाकर जिला अस्पताल में अटैच कर दिया गया। मुख्यमंत्री 9 दिसंबर को पुन: छिंदवाड़ा गए और डॉ. चाैरसिया को निलंबित करने का आदेश दे दिया। उसी दिन आयुक्त लोक स्वास्थ्य ने सीएम के आदेश का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता को सस्पेंड कर दिया और उन्हें 300 किलोमीटर दूर डिंडौरी में अटैच कर दिया। विभाग ने 12 िदसंबर को अधीनस्थ अधिकारी को सीएमएचओ का प्रभार दे दिया। अधिवक्ता त्रिपाठी ने दलील दी िक भरी सभा में मंच से किसी लोक अधिकारी को सस्पेंड करना उसका अपमान है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 9 एवं 12 दिसंबर के आदेश के िक्रयान्वयन पर रोक लगा दी।
दुर्भावना से की गई कार्रवाई
पवन कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार शुक्ला ने दलील दी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से निलंबन का आदेश दिया था, जिसके बाद विभाग द्वारा विधिवत निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। दरअसल, मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान कार्यक्रम में डीईओ के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर कलेक्टर ने रिपोर्ट दी थी। सीएम के मंच से आदेश के तत्काल बाद 10 फरवरी, 2022 को संभागायुक्त रीवा ने याचिकाकर्ता को डीईओ पद से निलंबित कर संयुक्त संचालक कार्यालय, रीवा में सम्बद्ध कर दिया। अधिवक्ता शुक्ला ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक दुर्भावनावश निलंबित किया गया है। जिस दिन मुख्यमंत्री का कार्यक्रम था, उसी दिन कलेक्टर का प्रतिवेदन आया और उसी दिन संभागायुक्त ने निलंबन आदेश भी जारी कर दिया।