अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धताअक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव!

अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धताअक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-08 08:40 GMT
अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धताअक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव!

डिजिटल डेस्क | विद्युत मंत्रालय अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव| विद्युत मंत्रालय ने आज बिजली क्षेत्र में हितधारकों की टिप्पणियों के लिए अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) प्रणाली को फिर से डिजाइन करने पर एक चर्चा पत्र जारी किया है। बिजली क्षेत्र के परिदृश्य में उभरते परिवर्तनों के साथ इसे जोड़ने और नई अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए आरईसी प्रणाली को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता के उद्देश्य से यह चर्चा पत्र तैयार किया गया है। आरईसी तंत्र में प्रस्तावित परिवर्तनों की मुख्य विशेषताएं हैं: 1. आरईसी की वैधता अवधि,इसके स्तर और सहनशीलता मूल्य: (i)आरईसी की वैधता अवधि को हटाया जा सकता है। अर्थात जब तक इसे बेचा नहीं जाता है, तब तक आरईसी की वैधता शाश्वत होगी ।

(ii)चूंकि आरईसी हमेशा के लिए वैध होते हैं, इसलिए न्यूनतम स्तरों और सहनशीलता की कीमतों को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आरईसी धारकों को बेचने का समय तय करने की पूरी स्वतंत्रता होगी। (iii)सीईआरसी को यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और निगरानी तंत्र की आवश्यकता होगी कि आरईसी में किसी तरह की कोई जमाखोरी न हो और आरईसी बाजार में कृत्रिम मूल्य वृद्धि का निर्माण न हो। यदि आरईसी के बाजार में कदाचार का ऐसा मामला सामने आता है तो ऐसी स्थिति में सीईआरसी हस्तक्षेप कर सकता है। 2. अवधि जिसके लिए आरई उत्पादकों को आरईसी जारी किया जाना है: जो अक्षय ऊर्जा उत्पादक आरईसी के लिए पात्र हैं, वे परियोजनाओं के चालू होने की तारीख से 15 वर्षों के लिए आरईसी जारी करने के लिए पात्र होंगे।

अक्षय ऊर्जा प्रमाण पत्र के लिए जो मौजूदा आरई परियोजनाएं पात्र हैं, उन्हें 25 वर्षों तक यह प्रमाण पत्र मिलना जारी रहेगा। 3. अक्षय ऊर्जा में नई और उच्च लागत वाली प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और आरईसी जारी करने के लिए गुणक का प्रावधान:(i) गुणक की अवधारणा को पेश किया जा सकता है, जिसके तहत कम परिपक्व आरई प्रौद्योगिकियों को अन्य परिपक्व अक्षय ऊर्जा (नवीकरणीय) प्रौद्योगिकियों के स्थान पर बढ़ावा दिया जा सकता है। (ii)विभिन्न प्रौद्योगिकियों के लिए उनकी परिपक्वता स्तर के आधार पर नकारात्मक सूची और सूर्यास्त खंड(सनसेट क्लॉज) की अवधारणा पर भी विचार किया जा सकता है। (iii)किसी भी प्रकार की ऐसी अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों , जिन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है, को 2 साल पहले पहचाना जा सकता है।

ऐसी अक्षय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं के लिए कम से कम 15 साल की नीति दृश्यता प्रदान की जाएगी ताकि निवेश को आकर्षित किया जा सके और अक्षय ऊर्जा में ऐसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जा सके। (iv)गुणक नई और उच्च कीमत वाली आरई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसा प्रौद्योगिकी गुणक पेश किया जा सकता है, जिसे परिपक्वता के आधार पर प्रौद्योगिकियों के लिए विशिष्ट विभिन्न श्रेणियों (बास्केट्स) में आवंटित किया जा सकता है। गुणक परियोजना के चालू होने की तारीख के आधार पर इसकी विशिष्टता का भी ध्यान रखेगा। 4. आरपीओ से परे अक्षय ऊर्जा स्रोत से बनी बिजली की खरीद के लिए बाध्य/निर्दिष्ट संस्थाओं को प्रोत्साहित करना। 5. रियायती शुल्क या किसी अन्य शुल्क की छूट के लाभार्थी को कोई अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) जारी नहीं किया जाएगा। 6. अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र कारोबार (आरईसी ट्रेडिंग) में कारोबारी की भूमिका को बढ़ाया जा सकता है जिससे दो प्रमुख लाभ होंगे, अर्थात यह आरईसी के खरीदारों को दीर्घकालिक दृश्यता देगा ताकि वे वे आसानी से आरपीओ को पूरा कर सकें I इसके अलावा, छोटे खरीदार खरीद में आसानी के रूप में आरईसी खरीदने के लिए कारोबारियों पर भरोसा कर सकते हैं। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि ऐसे छोटे खरीदार जिन्हें आरईसी बाजार में व्यापार करने में कठिनाई होती है, वे अपने आरपीओ को पूरा करने में सक्षम हो सकेंगे I 

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