बीमारी छिपाकर पॉलिसी ली थी तो क्लेम नहीं देगी बीमा कंपनी

बीमारी छिपाकर पॉलिसी ली थी तो क्लेम नहीं देगी बीमा कंपनी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-21 16:39 GMT
बीमारी छिपाकर पॉलिसी ली थी तो क्लेम नहीं देगी बीमा कंपनी



डिजिटल डेस्क जबलपुर। क्लेम न देना पड़े इसलिए अनेक तरीके बीमा कंपनियाँ अपना रही हैं। पॉलिसी धारकों पर बीमारी छिपाने का आरोप लगाते हुए बीमा कंपनी भुगतान करने से हाथ खड़े कर रही है, जबकि जिस फॉर्म की बात बीमा कंपनी कर रही है वह फॉर्म पॉलिसी धारक ने कभी भरे ही नहीं बल्कि बीमा कंपनी के एजेंट द्वारा भरे गए हैं। पीडि़तों का आरोप है कि जब बीमा कंपनी के एजेंट ही हमारी पॉलिसी भरकर जमा कर रहे हैं तो बीमारी छिपाने का सवाल ही नहीं उठता। बीमा कंपनी जानबूझकर हमें प्रताडि़त कर रही है और पॉलिसी के नॉमिनी को भुगतान देने से बीमा कंपनी पीछे हट रही है। पीडि़तों का कहना है कि हमारे द्वारा लगातार बीमा कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है पर उचित जवाब नहीं मिलने से वे परेशान हैं। यहाँ तक की बीमा कंपनियों में अपील भी पीडि़त कर चुके हैं उसके बाद भी बीमा कंपनियाँ क्लेम देने में हाथ खड़े कर रही हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ (मोनो लगाएँ टेलीफोन का)-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
कैंसर की बीमारी छिपाई है इसलिए रिजेक्ट किया क्लेम
कंचनपुर निवासी श्रीमती विनोद चड्ढा ने अपनी शिकायत में बताया कि पूजा चड्ढा ने एलआईसी से पॉलिसी थी। बीमार होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती होने के बाद खुलासा हुआ कि पूजा को कैंसर है। लगातार कैंसर की बीमारी का इलाज चला और उसके बाद अचानक अक्टूबर 2017 में पूजा की मौत हो गई। पूजा की मौत के बाद बीमा कंपनी में भुगतान के लिए क्लेम किया लेकिन बीमा कंपनी ने 3 लाख 40 हजार का क्लेम स्वीकृत करने से मना कर दिया और कहा कि यह बीमारी पुरानी थी इसलिए हम क्लेम नहीं दे सकते। पीडि़ता का कहना कि अगर बीमा कंपनी समय पर भुगतान नहीं करती है तो मामले को उपभोक्ता फोरम में दायर करेंगी।
केस.2
नॉमिनी लगा रहा क्लेम पाने बीमा कंपनी के चक्कर-
त्रिमूर्ति नगर निवासी अनिरुद्ध मिश्रा ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी मौसी गोपी चौबे अविवाहित थीं। उन्होंने एसबीआई से पॉलिसी ली थी। उसमें नॉमिनी मैं था। मौसी अचानक बीमार हो गईं तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान मौसी ने 9 जून 2020 को दमतोड़ दिया था। उनकी मौत के बाद बीमा कंपनी में क्लेम किया तो किसी तरह का जवाब नहीं आया। लगातार संपर्क करने पर खुलासा किया गया की गोपी चौबे किडनी व हाईपर टेंशन की बीमारी से ग्रसित थीं और यह बात पॉलिसी में छिपाई गई थी। जानकारी छिपाने के कारण बीमा कंपनी कभी भी क्लेम नहीं देती है। पीडि़त ने सारे दस्तावेज दिए उसके बाद भी बीमा कंपनी क्लेम देने से पीछे हट रही है।
जिम्मेदार नहीं रिसीव कर रहे फोन-
पूजा की मौत के बाद क्लेम नहीं देने के संबंध में एलआईसी के ब्रांच मैनेजर से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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