जबरन पॉलिसी की और अब मौत के बाद नहीं दे रहे क्लेम
आरोप: एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी कर रही जालसाजी जबरन पॉलिसी की और अब मौत के बाद नहीं दे रहे क्लेम
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बैंक से लोन लेना या फिर रिटायर होने के बाद बैंक खाते में राशि जमा करना आम लोगों को भारी पड़ रहा है। बीमा कंपनियों के अधिकारी व बैंक के अधिकारी साँठगाँठ करके उपभोक्ताओं को अपना शिकार बना रहे हैं। जबरन उनके एकाउंट से राशि डेबिट करके बीमा कराया जा रहा है। पॉलिसी पहुँचने के बाद खाताधारक को पता चलता है और वह इसका विरोध करने बैंक पहुँचता है तो उसे कई तरह का लालच देकर राजी करा लिया जाता है। पॉलिसी धारक के साथ अचानक किसी तरह की घटना होती है या फिर बैंक से लिए गए ऋण के एवज में ली गई पॉलिसी का भी नॉमिनी को किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल रहा है। बीमितों का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ आम लोगों के साथ जालसाजी कर रही हैं और बीमित न्याय पाने लगातार भटक रहे हैं पर उन्हें किसी भी तरह से न्याय नहीं मिल रहा है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
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बीमित महिला की इलाज के दौरान हो गई थी मौत
उत्तर प्रदेश लखीमपुर खीरी ग्राम बेलरायां निवासी देवांश सोनी ने शिकायत देते हुए बताया कि उन्होंने बैंक से लोन लिया था। लोन के एवज में 62 हजार रुपए की बीमा पॉलिसी बैंक अधिकारियों ने बीमा कंपनी के कर्मचारी के साथ मिलकर कर दी थी। उसमें सारे तथ्यों को बीमा करते वक्त बताया गया था। पत्नी ममता रस्तोगी स्वास्थ्य विभाग में काम करती थीं। ममता बीमार हो गईं और चेकअप करने पर खुलासा हुआ कि कैंसर है। कैंसर के इलाज के दौरान ममता की मौत हो गई। पॉलिसी क्रमांक 2 के712819604 के आधार पर बीमा कंपनी में सूचना दी गई कि पॉलिसी धारक की मौत हो गई और उनके चार छोटे-छोटे बच्चे हैं। एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों ने क्लेम नंबर भी जारी किया और जल्द क्लेम देने का वादा किया पर महीनों बीत जाने के बाद भी बीमा अधिकारियों ने किसी तरह का जवाब नहीं दिया तो मेल किया और बैंक के माध्यम से क्लेम सेटल करने आवेदन दिया पर जिम्मेदारों के द्वारा क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया और लगातार अब परेशान कर रहे हैं। बीमित का आरोप है कि उसके साथ एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों के द्वारा गोलमाल किया जा रहा है।