Panna News: सिद्धचक्र महामंडल विधान का चौथा दिन, तीर्थकर का दिव्य उपदेश है जैन धर्म में समवरण: विनिश्चल सागर जी महाराज
- सिद्धचक्र महामंडल विधान का चौथा दिन
- तीर्थकर का दिव्य उपदेश है जैन धर्म में समवरण: विनिश्चल सागर जी महाराज
Panna News: बृजपुर कस्बा स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में पहली बार सिद्धचक्र महामंडल विधान का कार्यक्रम भक्तिभाव के साथ सम्पन्न हो रहा है। विधान मंडल के इस आयोजन में नियमित रूप से मुनिश्री उपाध्याय विनिश्चल जी सागर महाराज एवं विनियोग सागर जी महाराज का आर्शीर्वाद एवं मार्गदर्शन जैन धर्मावलंबियो को प्राप्त हो रहा है। महामंडल विधान कार्यक्रम के आज चौथे दिन विनिश्चल सागर जी महाराज द्वारा बताया गया कि जैन धर्म समवरण तीर्थकर का दिव्य उपदेश है समवरण का अर्थ है सबको शरण देना।
आपने बताया कि समवरण भवन तीर्थंकर के ज्ञान प्राप्त करने के बाद देवों द्वारा बनाया जाता है यह जैन कला में काफी प्रचलित है समवरण में सभी को जिज्ञासा ज्ञान पाने का अवसर मिला है समवरण के बाहरी भाग के मार्ग के दोनों तरफ दो नाटय शालायें होती हैं द्वारों के भीतर प्रवेश करने पर चारों दिशाओं में चार मान स्तंभ होते है चारों दिशाओं में २०-२० हज़ार सीढिय़ां होती हैंं चार कोट और पांच वेदियां होती हैं। इन कोट और वेदियों के बीच में आठ भूमियां होती हैं,समवसरण के सबसे बाहर धूलिसाल कोट होता है जो पंचवर्णी रंगो से चमकता हुआ गोल होता है समवसरण में चक्रवर्ती आदि मनुष्य और 12 तिर्यंच पशु-पक्षी बैठते हैं। समवसरण की यह महिमा होती है कि सिंह और गाय एक साथ बैठते हैं वहां पर कोई भी बैर नहीं होता।