केंद्रीय जेल में बनने वाले मॉस्क की मांग बढ़ी, महिला कैदियों ने सँभाला मोर्चा
केंद्रीय जेल में बनने वाले मॉस्क की मांग बढ़ी, महिला कैदियों ने सँभाला मोर्चा
डिजिटल डेस्क जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेन्ट्रल जेल में अभी तक पुरुष कैदियों ने ही अपने सामाजिक सरोकार के तहत मॉस्क बनाने का काम शुरू किया था। अब जैसे ही माँग बढ़ी तो फिर महिला बंदियों ने भी अब मॉस्क बनाने के लिए मोर्चा सँभाल लिया है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश एवं उनके द्वारा दी गई गाइडलाइन के आधार पर बनाए जा रहे मॉस्क को बार-बार धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस काम में 60 से ज्यादा पुरुष एवं महिला कैदी लगे हुए हैं।
जेल में बने मॉस्क की सबसे ज्यादा माँग मेडिकल अस्पताल में न केवल स्टॉफ के लिए बल्कि मरीजों के लिए भी है। इसके अलावा अन्य अस्पतालों के साथ कलेक्ट्रेट, हाई कोर्ट एवं जिला कोर्ट के साथ सरकारी विभागों एवं रेलवे से भी मॉस्क की माँग आई है। इसके कारण ही अब महिलाओं को भी मैदान में उतारना पड़ा है। महिलाओं द्वारा भी मॉस्क बनाने से अब मॉस्क का उत्पादन रोज ढाई हजार तक पहुँच जाने की उम्मीद है।
दान में भी मिली सिलाई मशीनें - इसकी लागत भी न्यूनतम ही रखी गई है, यह मॉस्क मात्र 7 रुपये में ही उपलब्ध कराया जा रहा है। इस काम के लिए करीब 50 सिलाई मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन मशीनों की संख्या बढ़ाने के लिए भी विचार चल रहा है। कुछ लोगों ने तो सिलाई मशीनें भी दान में दी हैं।
एक हफ्ते की वेटिंग -
यदि किसी संस्थान को मॉस्क की जरूरत है तो उसे इस समय एक हफ्ते का इंतजार करना पड़ रहा है। इस समय 20 हजार से ज्यादा मॉस्क की आवश्यकता है, लेकिन एक दिन में दो हजार से लेकर ढाई हजार के बीच ही मॉस्क बन पा रहे हैं। मॉस्क का उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।