दूसरी लहर में हो रहीं थीं मौतें, तो फिर डिब्बों में क्यों बंद थे 204 वेंटिलेटर

दूसरी लहर में हो रहीं थीं मौतें, तो फिर डिब्बों में क्यों बंद थे 204 वेंटिलेटर

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-10 16:18 GMT
दूसरी लहर में हो रहीं थीं मौतें, तो फिर डिब्बों में क्यों बंद थे 204 वेंटिलेटर



डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोरोना की दूसरी लहर में जब बड़ी संख्या में मरीजों की मौतें हो रहीं थीं, तो ऐसी आपात स्थिति में प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में 204 वेंटिलेटर डिब्बों में क्यों बंद थे। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पॉल की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि क्यों न महाराष्ट्र की तर्ज पर प्रदेश के निजी अस्पतालों का ऑडिट किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 21 जून को नियत की गई है।
कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने राज्य सरकार की ओर से पेश की गई सातवीं एक्शन टेकन रिपोर्ट पर आपत्ति पेश करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हुई है। ऐसे में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में 204 वेंटिलेटर डिब्बों में बंद थे। यदि इन वेंटिलेटर्स का उपयोग किया जाता तो कई मरीजों की जान बच सकती थी। इस मामले में राज्य सरकार के जवाब में कहा गया कि 204 वेंटिलेटर्स को बैकअप के तौर पर रखा गया था।
सरकार ने कहा- 1 जून से निजी अस्पतालों में अधिकतम रेट लागू-
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने गुरुवार को आठवीं एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा कि डिवीजन बैंच के आदेश के परिपालन में 1 जून से प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के अधिकतम रेट लागू कर दिए गए हैं। इसके अलावा चीफ मिनिस्टर िरलीफ फंड से 13, कोल इंडिया की ओर से 7, डीआईजीइओ की ओर से एक, केन्द्र सरकार की ओर से 27, एनएचएआई की ओर से 9, पेटीएम की ओर से 1, पीडब्ल्यूडी की ओर से 19 ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। केन्द्र सरकार के 27 में से 7 ऑक्सीजन प्लांट ने काम करना शुरू कर दिया है। सितंबर अंत तक 71 ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो जाएँगे। प्रदेश में अभी तक ब्लैक फंगस के 1791 मरीज मिले हैं। इनमें से 1000 मरीजों का इलाज चल रहा है। 583 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 135 मरीजों की मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र की तर्ज पर निजी अस्पतालों का हो ऑडिट-
कोर्ट मित्र ने सुझाव दिया कि महाराष्ट्र की तर्ज पर मध्य प्रदेश के निजी अस्पतालों का ऑडिट किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार ने ऑडिट के जरिए निजी अस्पतालों से मरीजों को 18 करोड़ रुपए वापस कराए हैं। राज्य सरकार ने 3 सितंबर 2020 को आदेश जारी किया था कि निजी अस्पताल 29 फरवरी 2020 के शेड्यूल रेट से 40 प्रतिशत अधिक चार्ज कर सकते हैं। 3 सितंबर 2020 से लेकर 30 मई 2021 तक राज्य सरकार को बताना था इस 9 महीने के दौरान आदेश का कितना पालन किया गया।
सरकार के रेट, बड़े अस्पतालों से भी ज्यादा-
कोर्ट मित्र ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 30 मई 2021 को निजी अस्पतालों के तय रेट प्रदेश के बड़े अस्पतालों के वर्तमान रेट से भी ज्यादा है। इसके साथ ही सरकार ने हर श्रेणी के अस्पताल के एक समान रेट तय कर दिए हैं। इससे बड़े और छोटे शहरों के अस्पतालों के रेट एक समान हो गए हैं।
सीटी स्कैन मशीन लगाने की समय-सीमा तय हो-
डिवीजन बैंच में आपत्ति दायर कर कहा गया है कि राज्य सरकार ने अपने जवाब में बताया है कि प्रदेश के 52 जिलों में से केवल 14 जिलों के जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन लगाई गई है। शेष 38 जिलों में सीटी स्कैन मशीन लगाने का काम चल रहा है। सरकार को सीटी स्कैन मशीन लगाने की समय-सीमा तय करना चाहिए।
तीसरी लहर की तैयारी बच्चों तक सीमित क्यों-
कोर्ट मित्र ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए सरकार केवल उपलब्ध संसाधनों में फेरबदल कर बच्चों के वार्ड बना रही है। नया कुछ नहीं किया जा रहा है। डिवीजन बैंच में आपत्ति दायर कर कहा गया कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए चिकित्सकों और तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि लोगों को आसानी से इलाज मिल सके।

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