प्लाज्मा थेरेपी और दो टीकों में अंतर को लेकर ICMR के फैसलों में देरी पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
प्लाज्मा थेरेपी और दो टीकों में अंतर को लेकर ICMR के फैसलों में देरी पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कांग्रेस पार्टी ने कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की अनुपयोगिता और दो टीकों को बीच अंतर को लेकर फैसले में देरी के चलते इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने सवाल किया कि स्वास्थ्य के मामले में देश का मार्गदर्शन करने वाली आईसीएमआर ने दोनों फैसले समय पर क्यों नहीं किए। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए जाने वाले टीके में ज्यादा समय का अंतर और प्लाज्मा थेरेपी को लेकर नीति में देरी के चलते मरीजों उनके रिश्तेदारों और टीका लगवाने वाले बुजुर्गों को मानसिक पीड़ा सहन करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर ने पहले टीके की दो खुराक का अंतर 28 दिन रखने को कहा, जबकि दूसरे देशों में यह अंतर पहले से 90 से 120 दिन तक का था। देश के भीतर जब टीके की कमी होने लगी तो आईसीएमआर ने चरणबद्ध तरीके से टीके में अंतर बढ़ाने की घोषणा की।
तिवारी ने कहा कि पिछले सालभर से प्लाज्मा थिरेपी के चलते कई मरीजों को ठीक होने का दावा किया जा रहा था। इसलिए कई सामाजिक संस्थाओं और समाजसेवियों ने कोविड को मात दे चुके लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए तैयार किया था। कई मरीजों ने काफी पैसे खर्च कर प्लाज्मा थेरेपी के जरिए इलाज कराया था लेकिन अब इसे अनुपयोगी बताया जा रहा है। ऐसे में यह इलाज कराने वाले मरीजों की मानसिक स्थिति कैसी होगी। तिवारी ने कहा कि आईसीएमआर के फैसले से देश के लोगों में भ्रम की स्थिति है इसलिए आईसीएमआर को यह बताना चाहिए कि प्लाज्मा थेरेपी के कारगर न होने को लेकर क्या कोई अध्ययन किया गया है जिसके चलते यह निष्कर्ष सामने आया है। अगर ऐसा है तो यह अध्ययन किसने किया और इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा गया यह लोगों को बताया जाना चाहिए।