अपोलो से एचडीएफसी में कन्वर्ट होने के बाद क्लेम नहीं दे रही कंपनी
अपोलो से एचडीएफसी में कन्वर्ट होने के बाद क्लेम नहीं दे रही कंपनी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। बीमा कंपनियों ने जो वादे किए थे उनसे मुकर जाने के बाद पॉलिसी धारक परेशान हो रहे हैं। पॉलिसी धारकों द्वारा नियमानुसार सारे दस्तावेज देने के बाद भी बीमा कंपनियों के द्वारा तरह-तरह की क्वेरी निकाली जा रही हैं और उसके बाद अपने सर्वेयर को भी घर भेज रहे हैं। सर्वेयर सारी बातें करने के बाद पूरा परीक्षण करके जाते हैं और जाते वक्त वादा करते हैं कि आपका सही केस है, हम जल्द ही रिपोर्ट बनाकर कंपनी को दे देंगे। बीमित भी ये विश्वास करने लगते हैं कि जल्द की उनका क्लेम अब पास हो जाएगा पर हकीकत में ऐसा होता नहीं हैं। बीमा कंपनी सीधे पॉलिसी धारकों के साथ धोखा रही है और उनके क्लेम को निरस्त कर फाइल को क्लोज करने में लगी हुई है। निजी कंपनियों द्वारा वर्तमान में जमकर गोलमाल किया जा रहा है। टोल-फ्री नंबर पर या फिर ऑफिस के अधिकारियों से बात की जाती है तो वे गुमराह करते हुए बीमित को चलता करने में लगे हुए हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर जबलपुर के मोबाइल नंबर 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
आधे से भी कम क्लेम दिया बीमा कंपनी ने स्नेह नगर निवासी महेश कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी बेटी को वर्ष 2018 में डेंगू हो गया था। बेटी को इलाज के लिए अनंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चूँकि नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस से मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी ले रखी थी, इसलिए ज्यादा चिंता नहीं थी। अस्पताल में जब कैशलेस कार्ड दिखाया तो बीमा कंपनी ने रिजेक्ट कर दिया। हमें नकद रुपए देकर बेटी का इलाज कराना पड़ा। बेटी कु. चाहत ननकानी के इलाज के बाद अस्पताल व दवाइयों का पूरा बिल दिया और बीमा कंपनी में सारी रिपोट्र््स व बिलों के साथ क्लेम किया, तो बीमा कंपनी ने कई क्वेरी निकालीं। उसके बाद उन्होंने अस्पताल से सारे दस्तावेज दोबारा लाकर दिए और बीमा कंपनी के ऑफिस में जमा कर दिए। बीमा कंपनी में सारे बिल जमा करने के बाद कई चक्कर लगवाए, तब जाकर आधे से भी कम सात हजार रुपए का क्लेम पास किया और शेष रकम के लिए वे लगातार चक्कर लगा रहे हैं।
केस.2
मेडिकल निवासी सनत कुमार जैन ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने पूरे परिवार का अपोलो से हेल्थ इंश्योरेंस कराया था। अपोलो कन्वर्ट होकर एचडीएफसी में परिवर्तित हो चुकी है। उसके बाद भी वे लगातार बीमा का प्रीमियम देते आ रहे हैं। उनके घुटने में दर्द होने पर डॉक्टर से चैक कराया। डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। चिकित्सक की सलाह पर तुरंत वे शैल्बी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हो गए थे। वहाँ लगातार इलाज चलने के बाद बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया। अपने पूरे इलाज का बिल उन्होंने अपने पास से भुगतान किया। भुगतान के बाद उनके द्वारा बीमा कंपनी में क्लेम किया गया था। बीमा कंपनी ने कई तरह की जानकारी दोबारा माँगी पर आज तक उसका निराकरण नहीं किया। वे लगातार प्रयास करते आ रहे हैं पर किसी तरह की सुनवाई नहीं हो रही है। पीडि़त का कहना है कि हमारे साथ एचडीएफसी बीमा कंपनी धोखा कर रही है।
सार्वजनिक नहीं की जाती जानकारी-
पॉलिसी धारक की जानकारी हमारी बीमा कंपनी (एचडीएफसी) सार्वजनिक नहीं करती है। नियमानुसार पॉलिसी धारकों को क्लेम देने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। इस तरह का बयान कंपनी के प्रतिनिधि के द्वारा लगातार दिया जा रहा है। वहीं नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के ब्रांच मैनेजर विनोद पांडे से संपर्क किया गया पर उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया।